किया था वादा
मृतकों के परिजनों के अनुसार दोनों भाइयों ने पिता से वादा किया था कि वे उनकी कमजोर आंखों में रोशनी डालने के लिए उनका ऑपरेशन कराएंगे। बड़े बेटे विकास ने इसके लिए आर्मी की सेवा से छुट्टी ली और गांव पहुंचा था। सैनिक होने पर आर्मी अस्पताल में पिता का चेकअप कराने के बाद निजी अस्पताल में उनकी आंखों का ऑपरेशन कराया। लेकिन, उन्हें क्या पता था कि पिता की आंखों से पट्टी खुलने से पहले उनकी जिंदगी में अंधेरा छा जाएगा।
चार दिन पहले ही आया था घर
लक्ष्मणगढ़. अर्जुन का बड़ा लडक़ा विकास 10 साल पहले आर्मी में लगा था। जबकि छोटा भाई विकास पहले यहीं फोटो स्टूडियो व डीजे का काम करता था। लेकिन, फिलहाल मुंबई रह रहा था। जो कि, चार दिन पहले ही अपने पिता के ऑपरेशन के लिए गांव आया था और उसने रविवार सुबह ही अपनी फेसबुक पर पोस्ट डालकर बेटियों की सुरक्षा व संरक्षण का आह्वान किया था।
शव देखकर बिलख पड़े परिजन
हादसे का शिकार हुए मृतक विकास व पंकज अपने माता-पिता की दो ही संतान थी। दोनों के शव घर पहुंचे तो परिजन बेसुध हो गए। मृतकों के घर पहुंचे सैनिक कल्याण विभाग के कल्याण संघठक साबूलाल चौधरी ने बताया कि मृतक सिपाही विकास के तीन बेटियां हैं और ये दोनों भाई इकलौते थे। इनकी मां वर्तमान में सांवलोदा धायलान स्थित सरकारी स्कूल में शिक्षिका के पद पर कार्यरत है।
जाम लगा, बस जब्त
घटना के बाद थोड़ी देर के लिए बाडलवास के पास जाम की स्थिति बनी रही। इसके बाद मौके पर पहुंची पुलिस ने दोनों क्षतिग्रस्त वाहनों को सडक़ के बीच से हटाया और लोक परिवहन बस को जब्त कर लिया गया।