अस्पताल में आपातकाल के समय मरीज ट्रोमा सेंटर में ही इलाज के लिए आते हैं। इलाज के दौरान सर्जन या फीजिशियन को ऑनकॉल बुलाने से डायरी भरनी होती है। डायरी भरने के बाद एम्बुलेंस चालक संबंधित चिकित्सक को फोन करता और उसके घर जाकर लेकर आता है।
नर्सिंग स्टॉफ फोन पर ही संबंधित चिकित्सक से सलाह लेता है। यही कारण है कि रात्रि में ट्रोमा सेंटर में आने वाले करीब 25 फीसदी मरीजों को जयपुर या अन्य जगह रेफर कर दिया जाता है। रात्रि के समय आने वाले मरीजों में अधिकांश दुर्घटना या प्वॉइजन के मामले होते हैं।