जिम्मेदारों की लापरवाही का बड़ा उदाहरण नगर परिषद सीकर का खुद का नया भवन है। शिलान्यास के करीब तीन वर्ष बाद भी नगर परिषद का खुद का आशियाना नहीं बन रहा है।
वजह कांग्रेस की ओर किए भवन के शिलान्यास को वर्तमान जनप्रतिनिधि उद्घाटन नहीं करवाना चाहते हैं। नगर परिषद खुद का भवन होने के बावजूद पुराने व जर्जर भवन में कर्मचारियों को बिठा रही है।
नए भवन का निर्माण इतना हो गया है कि नगर परिषद अपने अमले के साथ शिफ्ट हो सकती है। इसका नतीजा है कि करोड़ों रुपए की लागत से अशोक विहार के पास बनने वाले भवन डंम्पिग यार्ड बन गया है।
देरी के कारण प्रोजेक्ट की लागत करीब पांच करोड़ रुपए तक बढ़ गई है। अप्रत्यक्ष रूप से राजनीति के कारण सरकार को पांच करोड़ रुपए का एक तरह से चूना ही लगा है।
भवन निर्माण के अलावा बाहर साज सज्जा के 40 फीसदी काम अधूरे है। ऐसे में निर्माणकर्ता एजेंसी भवन के मूल प्रारूप में कटौती कर रही है।
18 माह में पूरा होना था भवन
नगर परिषद कार्यालय के नए भवन का निर्माण का शिलान्यास 26 मई 2013 को तत्कालीन मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने किया था। भवन का निर्माण राजस्थान आवास विकास इन्फ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड़ को 18 माह में पूरा होना था। बहुमंजिला इस भवन में लिफ्ट व सीवरेज के अलग से साढ़े सात करोड़ रुपए की अतिरिक्त लागत है।
सरकारी भवन को अलग लुक देने के लिए मूल प्रारूप में हैरीटेज लुक के साथ शेखावाटी की छतरियां व अन्य पुरानी शिल्प कला का तालमेल रखा गया था। सोलर प्लांट से पूरे भवन में रोशनी की व्यवस्था होनी थी।
देरी का कारण भी रहा पैसा
नगर परिषद के पैसे नहीं देने के कारण ही देरी हो रही है। पैसे नहीं मिलने के कारण दो साल तक भवन का निर्माण कार्य बंद रहा है। अब नगर परिषद यदि पैसे समय पर दे तो भवन निर्माण महज जल्द पूरा हो जाएगा।
सुभाष कुमार, एईएन, राविल