सीकर. एक जमाना था जब हर किसी गांव के गुवाड़ में लोग कबड्डी खेलते मिल जाया करते थे। देर रात तक कबड्डी के दांव-पेच की बातें करते नहीं थका करते थे, मगर अब वो जमाना नहीं रहा। ना ही कबड्डी के प्रति लोगों की दीवानगी रही।
जुबां पर कबड्डी…कबड्डी की जगह नो बॉल, वाइड बॉल और चौके-छक्कों ने ले ली। यह बात अलग है कि पिछले कुछ साल से देश में प्रो कबड्डी लीग के जरिए टीवी पर कबड्डी के मैच जरूर देखने को मिल रहे हैं। हमारे राजस्थान के ही कबड्डी खिलाड़़ी पिंक पैंथर कहलाते हैं।
आप भी सोच रहे होंगे कि बात राजस्थान के सीकर किसान आंदोलन की होनी है और हम ये कबड्डी कबड्डी खेल रहे हैं। भला इस आंदोलन से कबड्डी का क्या लेना-देना है।
…तो हम आपको बताए देते हैं कि सीकर किसान आंदोलन कबड्डी के ही एक खिलाड़़ी के दिमाग की उपज और इसके नतीजों के पीछे उसी का हुनर है। यह खिलाड़ी है अमराराम, जिनकी पहचान कॉलेज लाइफ में कबड्डी के धाकड़ खिलाड़ी के रूप में होती थी। वो ही अमराराम आज राजनीति के मैदान पर किसानों के लिए सरकार के साथ कबड्डी खेल रहा है।
अमराराम ने कॉलेज, विश्वविद्यालय व नेशनल पर कबड्डी खेली है। वर्ष 1974 में कर्नाटक के शिमोगा जिले में कबड्डी की नेशनल स्तर की ऑपन प्रतियोगिता हुई, जिसमें अमराराम ने राजस्थान का प्रतिनिधित्व किया। इसके बाद इंटर यूनिवर्सिटी कबड्डी प्रतियोगिता खेलने केरला के कालीकट गए थे।
यही नहीं बल्कि वर्ष 1978-79 में राजस्थान यूनिवर्सिटी की ओर से सीकर के श्री कल्याण कॉलज (एसके) में कबड्डी की राज्य स्तरीय प्रतियोगिता में अमराराराम एसके कॉलेज की तरफ से खेले। प्रतियोगिता में एसके कॉलेज व हनुमानगढ़ के संगरिया की टीम संयुक्त विजेता रही थी।
आप सोचो अगर अमराराम कबड्डी को नहीं छोड़ते और इसी को बतौर कॅरियर चुन लेते तो हर दांव-पेच में माहिर यह खिलाड़ी आज कहां होता। हमने भी यही सोचा और खुद अमराराम से ही यह सवाल कर डाला। पढि़ए उनका जवाब…
मैनें कबड्डी को छोड़ा कहां है। कबड्डी तो वर्तमान में भी खेल ही रहा हूं। फर्क बस इतना है कि पहले कॉलेज व राजस्थान के लिए खेलता था और अब किसानों के लिए। पहले सामने किसी कॉलेज या राज्य की टीम होती थी और अब खुद सरकारें। मगर लडऩ़े का जोश और जीतने की जिद आज भी वैसी है। -अमराराम किसान नेता
क्या था सीकर किसान आंदोलन? -सीकर किसान आंदोलन एक सितम्बर 2017 से 13 सितम्बर 2017 तक चला। देश में मध्यप्रदेश के मंदसौर के बाद इस साल किसानों का सबसे बड़ा आंदोलन था। -कर्ज माफी व स्वामी नाथन आयोग की सिफारिशें लागू करने समेत 11 मांगों को लेकर आंदोलन शुरू किया गया था।
-आंदोलन के तहत सीकर के हजारों किसानों ने एक सितम्बर 2017 को कृषि उपज मंडी समिति सीकर के परिसर में महापड़ाव डाला। -सीकर में पहली बार किसी आंदोलन को अन्य किसान संगठनों, व्यापारियों व आमजन का भरपूर समर्थन मिला। 13 दिन के आंदोलन को लेकन कहीं पर आमजन ने कोई शिकायत नहीं की।
-डीजे संचालक, ऑॅटो व सिटी बस यूनियन आदि ने भी किसानों के समर्थन में रैलियां निकाली। किसानों ने सीकर को बंद करवाया। मुख्यमंत्री के पुतले की विशाल शवयात्रा निकाली गई। -11 सितम्बर से सीकर जिले में 361 स्थानों पर किसानों ने सडक़ों पर पड़ाव डालकर चक्का जाम किया, जो तीन दिन तक जारी रहा।
-तीसरे दिन किसान नेताओं के 11 सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल से सरकार की वार्ता हुई, जिसमें किसानों के 50 हजार रुपए तक के कर्ज माफ करने के लिए कमेटी बनाने की सहमति बनी। इसके बाद आंदोलन समाप्त हो गया।
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