दांतारामगढ़ में 20 नवम्बर को नरेश और कैलाश कुमावत की शादी के उपलक्ष्य में प्रीतिभोज कार्यक्रम था, जो पूरी तरह से प्लास्टिक मुक्त था। इसमें पानी के गिलास, कटौरी व थैली आदि का इस्तेमाल नहीं किया गया था। लोगों को पानी तांबे के लोटे और स्टील के गिलास में पिलाया गया था। यह शादी प्लास्टिक फ्री समारोह का संदेश देने वाली थी।
इसके बाद दांतारामगढ़ के ही अन्य कुमावत परिवार में सोनू कुमावत की आठ दिसम्बर 2018 को शादी हुई। इस शादी की खास बात यह थी यह शादी समारोह रक्तदान से शुरू हुआ। इसके अलावा इसमें दूल्हा-दुल्हन ने रक्तदान का आठवां फेरा भी लिया।
अब हुई संस्कार बताने वाली शादी
दांता निवासी व इंदौर प्रवासी भंवरलाल नानूराम भरौदिया के परिवार में हुई शादी में बनाए गए पाण्डाल में सबसे पहले मुख्य द्वार पर सौलह संस्कारों को प्रचारित करने वाले बड़े बड़े प्लैक्स लगाए गए थे। जिनमें जन्म से लेकर मृत्यु तक के सभी सौलह संस्कारों को अलग अलग दर्शाकर उनका महत्त्व बताया गया था। शादी में पानी के लिए ताम्बे के लौटे काम लिए गए।
शादी 26 अप्रेल की रात को हुई। इससे पहले 25 अप्रेल को लग्र-टीका की रस्म हुई, जिसमें दुल्हन देविका भी बग्घी में सवार होकर दूल्हे के घर गांव पचार पहुंची और बेटी-बचाओ, बेटी पढ़ाओ का संदेश दिया। शेखावाटी में बारात में महिलाएं भी जाने लगी हैं। बेटियों को घोड़ी पर बैठाकर बिनौरी भी निकाली जानी लगी है।
अब लग्न-टीका वाले दिन दुल्हन भी दूल्हे के घर जाने की नई परम्परा शुरू हो रही है। दुल्हन देविका का भी यह कदम लोगों में चर्चा का विषय रहा। इस शादी में पंडित सम्पत शर्मा ने आठवां फेरा बेटी बचाओ व बेटी बढ़ाओ के साथ राजनीति में स्वच्छता का दिलावाया। अनूठी शादी मे माटी कला बोर्ड के अध्यक्ष हरीश कुमावत सहित अनेक जनप्रतिनिधि शामिल हुए।