अजमेर के भूणाभाय गांव की रहने वाली आरती टांक पुत्री रामस्वरूप जो वर्ष 2010 से अब तक अनवरत रींगस से खाटूधाम तक की पदयात्रा कर लखदातार के दरबार में निशान अर्पित कर चुकी है। रोजाना की तरह बुधवार दोपहर को रींगस से निशान उठाकर खाटू की ओर पैदल आ रही थी। दोपहर साढे तीन बजे करीब करणी माता मंदिर के पास पहुंची। इसी दौरान खाटूश्यामजी की तरफ से आ रही एक अनियंत्रित कार ने पैदल चल रही आरती को टक्कर मार दी।
टक्कर इतनी जबरदस्त थी कि आरती कुछ फीट उछलकर रेत में जा गिरी। वहीं कार भी एक पेड से टकरा कर क्षतिग्रस्त हो गई। मौके पर मौजूद लोगों ने बुरी तरह से जख्मी आरती को रींगस के सरकारी अस्पताल में में भर्ती कराया। जहां चिकित्सकों ने उसे मृत घोषित कर दिया।
मौके पर पहुंची रींगस पुलिस ने आरती के शव को अस्पताल की मोर्चरी में रखवाकर घटना की सूचना परिजनों को दी। हादसे के बाद बड़ा सवाल यह है कि रींगस-खाटू मार्ग पर पिछले पाचं सालों की बात करें तो कई भक्तों की मौत हो चुकी और कई घायल हो चुके। इसके बाद पदयात्रियों की सुरक्षा के हिसाब से प्रशासन कोई राहत नहीं दे सका है।
एपीपी पद से रिटायर्ड रामस्वरूप की 28 साल की अविवाहित बेटी आरती ने समाज शास्त्र में एमए कर रखा था। पढ़े-लिखे परिवार से ताल्लुक रखती थी। पहले निजी अस्पताल में नौकरी भी करती थी। शुरुआत में 15 दिन नौकरी और 15 दिन खाटू आकर बाबा की भक्ति करती थी। वर्ष 2010 में बाबा श्याम का रंग ऐसा चढ़ा कि नौकरी छोड़कर खाटूश्यामजी आ गई थी।
करीब 14 साल से प्रतिदिन रींगस-खाटू की निशान पदयात्रा करने वाली आरती टांक की श्याम जगत में खास पहचान बन गई थी। खाटू आने वाले भारत के हर राज्य के श्रद्धालु उसे श्याम दीवानी आरती के नाम से जानते थे। आरती की सड़क हादसे में हुई मौत की खबर सुनते ही संपूर्ण
श्याम जगत में शोक की लहर छा गई।