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राजस्थान में पनप रही भ्रष्टाचार की अमरबेल, सरकार के दावे झूठे

भ्रष्टाचार की बेल : जनता के जिन कार्यों को ऑनलाइन करने का दावा उनमें भी हो रहा जमकर भ्रष्टाचार

सीकरAug 10, 2021 / 06:37 pm

Ajay

सीकर में पकड़ी चोरी की गाड़ी ने जयपुर में पकड़वाया नकली नोट का कारखाना, झुंझुनूं के युवक कर रहे थे कारस्तानी

सीकर में पकड़ी चोरी की गाड़ी ने जयपुर में पकड़वाया नकली नोट का कारखाना, झुंझुनूं के युवक कर रहे थे कारस्तानी


आशीष जोशी/अजय शर्मा
सीकर.
सरकार की ओर से 15 विभागों के 108कार्यों को पूरी तरह ऑनलाइन करने का दावा किया गया है, लेकिन हकीकत यह है कि इनमें भी भ्रष्टाचार की बेल पनपने लगी है। कांग्रेस सरकार की ओर से पिछले कार्यकाल में आमजन को काम की गारंटी देने के लिए लोकसेवा गारंटी अधिनियम लागू किया गया था। इसके एक दशक बाद भी कुछ सेवाओं को छोड़कर अधिकांश में फरियादियों को काम की गारंटी नहीं मिल रही। अलबत्ता, रिश्वत का खुला खेल जरूर खेला जा रहा है। इस साल अब तक एसीबी की ओर से 270 से ज्यादा ट्रैप की कार्रवाई की जा चुकी है। पिछले चार साल में हुई एसीबी की कार्रवाई में आइएएस, आइपीएस, आरएएस, लिपिक, शिक्षक, अभियंता सहित अन्य अधिकारी-कर्मचारियों पर भ्रष्टाचार के दाग लगे हैं। इनमें से कई भ्रष्टाचारियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई के लिए संबंधित सरकारी महकमों की ओर से एसीबी को अभियोजन स्वीकृति नहीं दी जा रही है। राजस्व, कार्मिक व पंचायतीराज विभाग के 150 से अधिक अधिकारी व कर्मचारियों के खिलाफ कार्रवाई की फाइल जांच के नाम पर उलझी हुई है।
राजस्थान : महामारी में भी पनपा भ्रष्टाचार
वर्ष – मामले 2021: 270
2020: 128
2019: 169
2018: 158
2017: 158
(2021 में अब तक के मामले)

जिन पर मॉनिटरिंग का जिम्मा, वे भी रिश्वतखोर
चिंताजनक बात यह है कि आमजन को राहत देने के लिए जिन पर ऑनलाइन कामकाज की मॉनिटरिंग का जिम्मा है, वे भी रिश्वत लेेते पकड़े गए हैं। इस साल ही 40 राजपत्रित अधिकारी ट्रैप हुए हैं। अगस्त के पहले सप्ताह में ही एसीबी की 8 कार्रवाई हो चुकी है। जुलाई 2021 में ट्रैप के 38 मामले हुए।
काम होने चाहिए थे घर बैठे, रिश्वत के लिए हर बार टरकाय
ाकेस 01: बिल में तीन बार ऑब्जेक्शन, फिर ली घूसअलवर जिले में सीडीपीओ प्रदीप कुमार गिलोटिया ने बकाया बिलों के भुगतान की एवज में 50 हजार रुपए रिश्वत ली। जबकि महिला एवं बाल विकास विभाग की ओर से स्वयं सहायता समूह व आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं के बिलों का भुगतान ऑनलाइन किया जा चुका है। सीडीपीओ ने बिल में तीन बार ऑब्जेक्शन लगाए।
केस 02: ऑनलाइन व टोल फ्री व्यवस्था, फिर भी घूस हिण्डौनसिटी में पांच मार्च 2021 को विद्युत मीटर की रीडिंग कम करने के एवज में फीडर इंचार्ज शिवकेश मीणा व तकनीकी सहायक रविन्द्र कुमार आठ हजार की रिश्वत लेते गिरफ्तार हुए। जबकि जयपुर डिस्कॉम की ओर से रीडिंग में सुधार की व्यवस्था ऑनलाइन कर रखी है। यह त्रुटि निगम के टोल फ्री नंबर के जरिए भी ठीक हो सकती है।
केस 03: तय समय सीमा, फिर भी बिल पास करने को लिए 50 हजार चित्तौडगढ़ जिले में पिछले साल भैंसरोडगढ़ पंस की झालरबावड़ी पंचायत के ग्राम विकास अधिकारी जयप्रकाश शर्मा व कनिष्ठ तकनीकी सहायक श्यामलाल चौहान को परिवादी ठेकेदार मिथलेश सिंह से बिल पास करने के बदले पचास हजार की रिश्वत लेते गिरफ्तार किया था। जबकि गलती ठीक होने पर 30 से 45 दिन में भुगतान करना होता है।
अभियोजन स्वीकृति के लंबित मामले
पंचायतराज: 54
कार्मिक: 52
राजस्व: 52
पुलिस: 36
शिक्षा: 21
कृषि: 5
जल संसाधन: 11
चिकित्सा: 16
स्वायत्त शासन: 28
ऊर्जा: 14
आबकारी: 5
समाज कल्याण: 4
महिला एवं बाल विकास: 3
( जुलाई 2021 तक)

काम की गारंटी देने में सबसे आगे, जमीनी हकीकत कुछ और
1. जमाबंदी-नकल: तीन दिन का समय तयकाम की गारंटी अधिनियम में दावा किया गया कि पटवारी जमाबंदी व नकल के लिए अधिकतम तीन दिन फाइल रोक सकते है। तय समय में सुनवाई नहीं होने पर पीडि़त एसडीएम कार्यालय में अपील कर सकता है। खसरा संशोधन के लिए सात दिन और नामांतरण के लिए 47 दिन का अधिकतम समय निर्धारित है।
हकीकत: पिछले 12 महीने में 22 कार्रवाई हो चुकी है। ऑनलाइन व्यवस्था के बाद भी फरियादियों को टरकाया जा रहा है। आखिरकार वे भ्रष्टाचारियों को ट्रैप कराने पर मजबूर होता है।
2. बिजली बिल में गलती: तीन घंटे से सात दिन में होगी ठीक सरकार का दावा है कि पानी व बिजली बिल में गलती होने पर उपभोक्ता की ओर से यदि फोन से सूचना दी जाती है तो उसी दिन तीन घंटे में बिल ठीक करना होगा। यदि बिल डाक के जरिए कार्यालय भेजा गया है तो अधिकतम सात दिन का समय लग सकता है। अपील अधीक्षण अभियंता स्तर के अधिकारी के यहां हो सकती है।
हकीकत: बिजली कनेक्शन से लेकर बिलों में गलती सुधारने सहित अन्य मामलों में एक साल में 17 अधिकारी व कर्मचारी टै्रप हो चुके हैं।
3. पंचायतीराज: 10 से 45 दिन में भुगतान का दावापंचायतीराज विभाग की 11 योजनाओं में 10 से 45 दिन में भुगतान का दावा किया गया है। निविदा की राशि जमा कराने पर अधिकतम तीन दिन, अनुमति के मामलों में 30 दिन का प्रावधान है। विवाह पंजीयन के लिए सात दिन का समय तय है।
हकीकत: प्रदेश में एक साल में 29 मामलों में रिश्वत इस तरह के कार्यों के लिए ली गई। सीकर जिले में चार दिन पहले पूरी पंचायत ट्रेप हुई।
एक्सपर्ट व्यू: कानून बनाने के साथ मॉनिटरिंग भी हो
आमजन को राहत देने के लिए सरकार की ओर से कानून बनाए जाते हैं। लोकसेवा गांरटी अधिनियम हो या सम्पर्क पोर्टल, निश्चित तौर पर सरकार की अच्छी पहल है। लेकिन इनकी कमजोर मॉनिटरिंग की वजह से कुछ कार्मिक इसका गलत फायदा उठा लेते हैं। कई मामलों में फरियादियों को अपना काम निकलवाने के लिए भ्रष्टाचारियों की डिमांड भी पूरी करनी पड़ती है। एसीबी की ओर से लगातार कार्रवाई की जा रही है। भविष्य में सुधार की उम्मीद करनी चाहिए।
जीएल कटारिया, सेवानिवृत्त आरएएस अधिकारी

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