दर्शकों की बंटोरते है तालियां
्रछावनी रामलीला में बीस वर्षों से जुड़े सुरेन्द्र ढिलाण मेघनाथ का अभिनय कर पांडाल में दर्शकों की तालियां बंटोरते हैं। लोग इनके अभिनय की प्रशंसा ही नहीं बल्कि अभिनय के दिन का इंतजार भी करते रहते हैं। ढिलाण के पुत्र भी मंच पर वानर का अभिनय कर अपनी कला का प्रदर्शन दिखा रहे हैं। यह बताते है कि मंचन का समय आने के दौरान किसी के बताए बिना ही अपने आप मंच पर कूद पड़ते हैं।
इनके संवाद से गूंज उठता है पांडाल
करीब 40 वर्षों से अलग-अलग किरदार निभाते आ रहे अशोक कश्मीरी वर्तमान में रावण का अभिनय कर रहे है। जब मंच पर इनका अभिनय आता है तो इनके सवांदों से पूरा पांडाल तालियों की गड़गड़ाहट से गूंज उठता है। यह मंच के वरिष्ठ कायकर्ता होने के नाते सभी कलाकारों को अपने दिलों से जोड़े रखते हैं। नौ दिन तक उनका अपनो से भी ज्यादा ख्याल रखते है।
सीता से शुरू किया अभिनय आज ऑलराउंडर
ऑलइंडिया प्रतियोगिता में अपनी कला का प्रदर्शन कर टीम को दूसरे नंबर पर लाने वाले कैलाश राजोरिया शुरू में सीता का किरदार अदा करते थे, जो वर्तमान में किसी भी रूप में मंच पर उतरकर अपनी कला का प्रदर्शन करते है। फिलहाल सभी कलाकार इनके निर्देशन में अभिनय कर रहे हैं। ये कालनेमी, सूर्पनखा एवं हास्य कला आदि का अभिनय कर दर्शकों का मनमोह लेते हैं।
यह मंच पर किसी भी रूप में उतरने को तैयार
मेघनाथ, विश्वामित्र, परशुराम, केकई, वाणासुर का किरदार निभाने वाले नरेश शर्मा (बालाजी) का स्वभाव ही वास्तविक रूप में विश्वामित्र जैसा ही है। कई वर्षो से लगातार अभिनय करते आ रहे है। यह अभिनय कला में इतने निपुण हो गए है कि वर्तमान में किसी भी किरदार के रूप में मंच पर उतर जाते है।
सीन सिनेहरी से जुड़े अब मल्टी पर्पज
17 वर्ष से हनुमान, जनक व सुमंत का पाठ करने वाले संतोष कुमावत के तो रग-रग में रामलीला समाई हुई है। यह 2005 से छावनी रामलीला में सीन सिनेहरी से जुड़े। 2008 से आदर्श रामलीला मंडल के मंच पर अभिनय करना शूरू किया। 2012 से 2016 तक हनुमान रूप का अभिनय किया। वर्तमान में जनक सुमन्त, विप्ररूप, हनुमान, गायन सहित मल्टी पर्पज आर्टिस्ट, सिंगर, वर्तमान में सह निर्देशक के रूप में कार्य कर रहे हैं। यह स्वयं ही मैकअप कर लेते है। किरदार के साथ-साथ रामलीला की पूरी जिम्मेदारी भी निभाते है।
सभी अभिनय करने में निपुर्ण
वर्षों कौशल्या, विभिषण, सुग्रीव का किरदार निभाने वाले रमेश सोनी 12 वर्ष से जुड़े हैं। पेशे से कारोबारी हैं। जब मंच पर इनका अभिनय आता है तो दर्शक इनके ‘शक्ति रूप है ज्ञान की जगदंबा जग मात इन्हे त्रास दे अंत में कुशल नहीं है भ्रात ’ आदि संवादों से पूरा पांडाल तालियों की गूंज उठता है। यह वरिष्ठ कलाकार होनेे से सभी अपने सभी कलाकारों को साथ लेकर चलते है।