प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार हादसा इतना भयावह था कि कार के परखच्चे उड़ गए, अधिकांश की मौके पर ही मौत हो गई। पिचकी हुई कार के हिस्सों को क्रेन व स्थानीय निवासियों की सहायता से पुलिस ने अलग-अलग कर एक-एक शव को बाहर निकाला। इनके साथ अन्य गाडिय़ां भी आगे-पीछे चल रही थीं, लेकिन हादसे का उन्हें पता बाद में चल पाया। हादसे में छह साल का आरिफ उछलकर बाहर गिर पड़ा। अचानक हुए हादसे के बाद आसपास के लोग दौड़ पड़े। सूचना मिलते ही खुनखुना थाना पुलिस मौके पर पहुंची। इसके अलावा डीडवाना-कुचामन एसपी प्रवीण कुमार और डीडवाना एएसपी योगेन्द्र फौजदार मौके पर पहुंचे। लोगों की मदद से हादसे के हताहतों को बांगड़ अस्पताल पहुंचाया। यहां चिकित्सकों ने सात जनों को मृत घोषित कर दिया, जबकि एक युवक व बालक आरिफ का उपचार चल रहा है।
Rajasthan Accident: बस-कार भिड़ंत में एक ही परिवार के सात जनों की दर्दनाक मौत
दोपहर तीन बजे रवाना हुए थे
बिसायती चौक निवासी इम्तियाज कुरैशी ने बताया कि बस दोपहर करीब तीन बजे सीकर के बिसायती चौक, नागौर के लिए निकली थी। कार सीकर से नागौर जा रही थी। वे भी बारातियों के साथ एक गाड़ी में सवार थे। उनकी कार हादसे वाली गाड़ी से आगे थी। बस की कार से टक्कर की जानकारी पर वे मौके पर पहुंचे।
खुशियां पलभर में गम में बदली
घर से खुशी के साथ खुशी लेने निकले, रास्ते में हुए हादसे ने तमाम खुशियां बिखेर दी। ना खुशियां दिखीं ना उनके गीत सुनाई दिए, करुण-क्रंदन और विलाप के बीच अपनों को खोजने की कड़ी मशक्कत दिखी। एक ही समाज के कई परिवारों के चिराग बुझ गए। जवान बेटों के दुनिया छोड़ने से परिवार के परिवार बिखर गए, अपने ही चिराग का घर बसाने मुकलावे के लिए घर से निकले थे, कुछ अपनों की ही अर्थी लेकर घर लौटना पड़ रहा है।
ज्वैलर को पिस्तौल दिखाई तो पोती रोने लगी, फिर लुटेरों ने किया ऐसा काम
अब्दुल्ला की शादी हो चुकी थी, उसकी संगिनी को लेने करीब सौ से अधिक परिवार/रिश्तेदारों के साथ गाडिय़ां घर से निकली थीं। आगे-पीछे चलती गाडिय़ां, खुशियों के तराने-अफसानों के बीच अपनों की हंसी-ठिठोली ने सफर को खुशनुमां बना दिया। एक-दूसरे से हंसी-मजाक, आगे-पीछे चलने वाली गाडिय़ों में बैठे अपनों से ही मोबाइल पर चुहलबाजी चलती रही। तकरीबन सात बजे दूल्हे के परिवार वालों की कार खुनखुना थाना क्षेत्र के बांठड़ी चौराहे पर प्राइवेट बस से टकरा गई। साथ चली गाडिय़ों में बैठे मित्र-परिजनों में किसे खबर थी कि हादसा हो गया, काफी आगे जाने के बाद गाड़ी नहीं दिखी तो बेचैनी स्वाभाविक थी, फिर तलाश की तो पैरों तले जमीन खिसक गई। शिनाख्त के लिए चेहरे पहचान में नहीं आए, कपड़ों से जाना कि अपना दुनिया से रुखसत हो चुका है।
एक को दोस्तों की जिद ने बचाया
इस मुकलावे के लिए अब्बास हादसे की चपेट में आई कार में बैठने वाला था। साथियों ने जिद की कि दूसरी गाड़ी में चलेंगे, अपने और दोस्त भी उसी से जा रहे हैं। अब्बास उनकी मान गया और इस कार में नहीं बैठा और नसीब से उसकी जान बच गई।
पिता की नहीं मानी जान चली गई
इसी तरह हादसे का शिकार शाहरूख दुनिया छोड़ गया। मुकलावे के लिए जाते समय उसके पिता ने काफी रोका, लेकिन उसने एक नहीं सुनी। जिद भारी पड़ गई और उसकी जान चली गई। मुकलावे के लिए दूसरी गाड़ी में आ रहे आसिफ ने राजस्थान पत्रिका को बताया कि हमारी गाड़ी करीब पंद्रह किलोमीटर पीछे चल रही थी। हादसे वाली जगह को क्रॉस किया तो हमने सोचा कि किसी दूसरी गाड़ी से हुआ होगा, यह सोचकर आगे निकल गए। हमें क्या पता था कि हमारे ही अपने थे। बांगड़ अस्पताल में अफरा-तफरी थी, पुलिस अफसर के साथ डॉक्टर हताहतों को संभालने में लगे थे। मजबूरी यही थी कि इनको संभालने वाला कोई अपना नहीं दिख रहा था। तलाश शुरू हुई, मोबाइल के जरिए गाड़ी नंबर के जरिए, जैसे-तैसे हताहतों के अपनों को ढूंढा गया तो वे आसपास ही निकले। समय तो लगा, अस्पताल भी पहुंचे। इसके बाद बस एक-दूसरे को सांत्वना देते हुए दिखाई दिए।
मोबाइल पर सूचना देते-देते रोते रहे
एक साथ एक ही परिवार के सात जनों की मौत का मंजर जिसने देखा सन्न रह गया। लोगों की भीड़ उमड़ पड़ी, हर कोई बदनसीबी को कोसने में जुटा था। अपनों की लाशों को पहचानने की मुश्किल थी तो अपनों को हादसे की खबर बताना भी कम मुश्किल नहीं था। अपनों को बताते-बताते रोने लगे थे लोग, जिन्हें वो दिलासा देते दिखे जो उन्हें जानते तक नहीं थे। समाज में नए सदस्य को लेने गए थे, लेकिन हादसा बड़ा दर्द दे गया। दर्दनाक व विभत्स घटना से पूरा शहर दुखी है और मृतकों के परिवार को सांत्वना दे रहे हैं। घटना की सूचना मिलते ही बिसायती चौक में सैकड़ों लोगों का जमावड़ा लग गया। मृतकों के घरों में कोहराम मचा हुआ है। पड़ोसी व रिश्तेदार सांत्वना दे रहे हैं। घटना की सूचना मिलते ही बिसायती चौक से लेकर जाट बाजार तक व्यापारियों ने बाजार बंद कर दिए। इधर दर्जनों घरों में चूल्हे तक नहीं जले हैं।
आसिफ का बेटा भी गंभीर घायल, घर में कमाने वाला कोई नहीं
आसिफ (30) पुत्र मोहम्मद मुस्लिम शादीशुदा था और उसके तीन लड़की व एक लड़का मोहम्मद है। मोहम्मद भी इस मुकलावा में कार में ही सवार था। मोहम्मद गंभीर रूप से घायल है व उसे इलाज के लिए डीडवाना से जयपुर रैफर किया गया है। चार बच्चों के सिर से पिता का साया उठ गया है। आसिफ के छोटे-छोटे बच्चे हैं और वह अपने परिवार का बमुश्किल गुजर बसर कर रहा था।
हर तरफ चीत्कार
पुलिस के अनुसार शाहरूख (22) पुत्र असलम, सद्दाम (28) पुत्र हुकुमद्दीन, मोहम्मद तोहित (15) पुत्र निजाम, मोहम्मद जुबैर (18) पुत्र शौकत, मोहम्मद रसीद (12) पुत्र शकील, आसिफ (30) पुत्र मोहम्मद मुस्लिम (17) और मोहम्मद राशिद (21) पुत्र जमील की मौत हो गई है। कार में सवार शाहरूख (22) पुत्र जमील और मोहम्मद (6) वर्ष पुत्र आसिफ गंभीर रूप से घायल हो गए हैं। आसिफ को सीकर तो शाहरूख को जयपुर रेफर किया गया है। सभी मृतक आपस में रिश्तेदार हैं। ज्यादातर मृतकों के परिवार की आर्थिक स्थिति खराब है।
मोर्चरी के बाहर लगी भीड़, सभापतिविधायक, कलक्टर पहुंचे
उधर नगर परिषद सभापति जीवण खां सहित शहर के मौजिज लोग, पार्षद डीडवाना में मोर्चरी के बाहर जुटे। हादसे की सूचना पर विधायक चेतन डूडी, नागौर कलेक्टर सीताराम जाट, एडीएम सिटी श्योराम वर्मा, उप अधीक्षक धर्म पूनिया आदि बांगड़ हॉस्पिटल ट्रोमा सेंटर पहुंच गए। वहीं सीकर विधायक राजेंद्र पारीक, कलक्टर सौरभ स्वामी, सभापति सहित अन्य मृतकों के घर पंहुचे।