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यह कैसी मजबूरी : बाबू की परीक्षा की जिम्मेदारी कलक्टर को, डॉक्टरी की निजी हाथों में !

युवाओं का सवाल है कि ज्यादातर राज्यों में जब सबसे छोटी एलडीसी और बड़ी आरएएस व अन्य परीक्षाएं होने पर कलक्टर को नोडल ऑफिसर बनाकर सरकारी तंत्र को पूरी मॉनिटरिंग का जिम्मा दिया जाता है।

सीकरJun 26, 2024 / 11:34 am

जमील खान

अजय शर्मा

Sikar News : सीकर. नीट व नेट में चीट के आरोपों की गूंज ने एनटीए की व्यवस्था को सवालों के घेरे में ला दिया है। प्रतियोगी परीक्षाओं में नकल के मामले लगातार बढऩे पर राजस्थान सहित अन्य राज्यों में सरकारी सिस्टम के जिम्मे पूरी व्यवस्था कर दी गई। प्रवेश परीक्षाओं के मामले में व्यवस्था निजी एजेंसी के हाथों में है। युवाओं का सवाल है कि ज्यादातर राज्यों में जब सबसे छोटी एलडीसी और बड़ी आरएएस व अन्य परीक्षाएं होने पर कलक्टर को नोडल ऑफिसर बनाकर सरकारी तंत्र को पूरी मॉनिटरिंग का जिम्मा दिया जाता है।
लेकिन एनटीए (NTA) की ओर से नीट से लेकर नेट व सीयूईटी (CUET) जैसी परीक्षाओं में व्यवस्था निजी हाथों में दे दी गई। नीट में चीट को लेकर देशभर में आवाज उठने लगी। खुद शिक्षा मंत्रालय को दखल कर उच्च स्तरीय जांच समिति का गठन करना पड़ा। सवाल यह भी है कि 300 करोड़ की फीस लेने के बाद भी एनटीए पेपर की गोपनीयता व साख को क्यों नहीं बचा पा रहा है।
किस साल नीट में कितने पंजीयन
2019 : 1519375

2020 : 1597435

2021 : 1614777

2022 : 1872343

2023 : 2087462

2024 : 2406079
ज्यादा भरोसा सीबीएसई स्कूलों पर
एनटीए की ओर से देशभर में सीबीएसई स्कूलों को ज्यादा सेंटर दिए गए है। पत्रिका टीम ने पड़ताल की तो सामने आया कि एनटीए के ज्यादा अधिकारी सीबीएसई बोर्ड से जुड़े होने और सीबीएसई स्कूलों की मान्यता की कमान भी केन्द्रीय शिक्षा बोर्ड के हाथ में होने से सेंटर इन्ही स्कूलों को दिए गए। जहां सीबीएसई स्कूल कम पड़े वहां फिर संबंधित राज्य बोर्ड से सम्बद्व स्कूलों को सेंटर दिया गया।
इसलिए उठ रहे नीट पर सवाल
1. 85 फीसदी तक निजी स्टाफ क्यों : एनटीए की ओर से नीट व नेट जैसी बड़ी परीक्षाओं में 85 से 90 फीसदी तक निजी स्टाफ लगाया गया। जबकि एलडीसी जैसी छोटी परीक्षाओं में अब सरकारी स्टाफ लगाया जा रहा है। नीट व नेट में सिर्फ पर्यवेक्षक ही सरकारी लगाए गए थे।
2. केन्द्रों के निर्धारण में मनमर्जी : एनटीए की ओर से परीक्षा केन्द्र तय करने में बड़े स्तर पर मनमर्जी सामने आई है। देशभर में सभी जिला मुख्यालयों पर सुविधाओं से परिपूर्ण स्कूलों की कमी नहीं है। इसके बाद भी ग्रामीण क्षेत्र के छोटे-छोटे निजी स्कूलों में सेंटर अलॉट कर दिए गए।
3. प्रशासन को परीक्षा का जिम्मा क्यों नहीं : हर छोटी-बड़ी प्रतियोगी परीक्षा में जिला कलक्टर व पुलिस अधीक्षक से लेकर शिक्षा विभाग के अधिकारियों की जिम्मेदारी तय है। इसके बाद भी एनटीए की ओर से जिला प्रशासन को परीक्षा का सीधे तौर पर जिम्मा नहीं दिया गया।
‘नीट को लेकर देशभर के युवाओं में लगातार क्रेज बढ़ रहा है। ऐसे में सीए की तरह नीट परीक्षा भी साल में दो बार कराई जानी चाहिए। एनटीए का नकल रोकने का मैकेनिज्म काफी बेहतर है। लेकिन प्रेस से बैंकों के लॉकर तक प्रश्न पत्रों को सुरक्षित रखने की व्यवस्था में और सुधार किया जा सकता है।’ -डॉ. बलवंत सिंह चिराना, सिटी कोर्डिनेटर, सीबीएसई

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