जिले में बढ़ते अपराधों में पुलिस की धरातल पर कमजोरी बड़ा कारण है। अपराधियों की पनाह को लेकर ना तो पुलिस सक्रिय है और ना ही लोग। यहां रहने वाले लोगों का सत्यापन नहीं होने के कारण पुलिस को पता ही नहीं है कि यहां पर कौन लोग रह रहे हैं। बड़े धार्मिक स्थल खाटूश्यामजी और सालासर की धर्मशालाओं में बड़े अपराधियों की पनाह की सूचना के बाद भी पुलिस इस मामले को लेकर अभी तक सक्रिय नहीं हुई है। किराएदारों के सत्यापन के नाम पर महज खानापूर्ति की जा रही है। दो वर्ष पहले शहर के विवाह स्थल में चोरी की बड़ी वारदात के बाद पुलिस ने शहर के सर्वे करवाया तो सामने आया था कि यहां झारखंड, बीहार, उत्तरप्रदेश के 30 हजार से अधिक मजदूर रहते हैं। शहर की बाहरी कॉलोनियों में एक-एक मकान में 50 अधिक मजदूर पाए गए। शिक्षा नगरी बनते सीकर में बाहर के छात्रों की संख्या को इसमें जोड़ा जाए तो आंकड़ा एक लाख से अधिक बैठता है।
नहीं होता किराएदारों का सत्यापन : बाहर से आकर यहां किराया का मकान लेकर रहने वाले लोगों के सत्यापन के लिए दोहरी व्यवस्था है। एक तो मकान मालिक पुलिस को सूचना दे और दूसरी व्यवस्था यह है कि बीट कांस्टेबल यहां रहने वाले लोगों की जानकारी अपनी बीट में रखे। लेकिन दोनों ही स्तर पर व्यवस्था कमजोर है। नियमानुसार बीट बुक की प्रत्येक माह ड्यूटी अधिकारी और उच्चाधिकारियों को जांच कर नोट डालना होता है, लेकिन अधिकारी भी मामले को लेकर गंभीर नहीं है। अधिकतर ने बीट बुक की जांच कर नोट डालना उचित ही नहीं समझा।
शेखावाटी अंचल के बड़े धार्मिक स्थल खाटूश्यामजी और सालासर की सीकर जिले में डेढ़ सौ से अधिक धर्मशालाएं हैं। इन स्थानों पर प्रत्येक माह प्रदेश के विभिन्न जिलों के साथ हरियाणा और पंजाब के हजारों लोग भी आते हैं। दोनों ही स्थानों की धर्मशालाओं में पनाह लेकर यहां लूट की बड़ी वारदातों को भी अंजाम दिया है, लेकिन अभी तक दोनों ही स्थानों पर धर्मशालाओं में ठहरने वालों पुलिस की कड़ी नजर नहीं है।
कप्तान का दावा किराएदारों का सत्यापन मकान मालिक को करवाना होता है। इसे लेकर पुलिस का सर्वे जारी है। पुलिस बाहर से आकर यहां रहने वाले लोगों के मामले में गंभीरता बरत रही है।
-विनित राठौड़, एसपी, सीकर