स्वीकृति फिर सियासत
सीकर मेडिकल कॉलेज को हरी झंडी मिलते ही पहले से चली आ रही सियासत ने जोर पकड़ लिया और कॉलेज के निर्माण कार्य को लेकर राजनीति शुरू हो गई। इस कारण निर्माण कार्य प्रदेश के अन्य जिलो से पिछड़ गया। स्वीकृति के बाद जमीनी स्तर पर कोई काम नहीं हुए जिससे कॉलेज पिछड़ता गया। मेडिकल कॉलेज के अधीन नया अस्पताल बनाने के लिए भूमि का विवाद होने के कारण अब एसके अस्पताल को अधीन रखने का निर्णय किया है और यहां पीडियाट्रिक और गायनी वार्ड की एक-एक यूनिट खोली जाएगी। इसके लिए स्टाफ और लेबर रूम तैयार किए गए हैं। सूत्रों के अनुसार खास बात यह रही कि कॉलेज के अधीन जिला अस्पताल की खामियों को दूर करने की बजाए एमसीआई निरीक्षण को ही प्राथमिकता दी गई जिस कारण एमसीआई की ओर से चार बार किया गया निरीक्षण शुल्क भी व्यर्थ चला गया। वहीं यहां के हजारों छात्रों को एमबीबीएस के लिए दूसरे जिले में जाना पड़ा।
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ये आएगी परेशानी
एमसीआइ की ओर से निकाली गई अधिकांश खामियों को तो पूरा कर लिया लेकिन सबसे बड़ी परेशानी मेडिकल कॉलेज और अधीन अस्पताल का पट्टा नहीं होना है। पट्टे लिए नगर परिषद को छह लाख रुपए जमा करवाने को लेकर निर्णय तक नहीं हो पाया है। रही सही कसर मेडिकल कॉलेज के लिए फर्नीचर और उपकरण नहीं खरीदने से हो गई है। ऐसे में अब कॉलेज प्रशासन ने एमसीआई के निरीक्षण के देखते हुए दूसरे कॉलेज से उधार में उपकरण मांगे हैं जिससे इन उपकरणों को एमसीआई की टीम को दिखाया जा सके।
यह है कारण
मेडिकल कॉलेज के लिए उपकरण और फर्नीचर खरीद आरएसआरडीसी के जरिए होनी थी लेकिन खरीद के लिए दो बार निविदा तो खुल गई लेकिन न्यायालय में रिट लगने के कारण मामला खटाई में चला गया। इसके अलावा मेडिकल कॉलेज के लिए तो चिकित्सा शिक्षा विभाग की ओर से बजट दिया गया है लेकिन अधीन जिला अस्पताल के लिए बजट चिकित्सा विभाग ही देता है। इसके अलावा जनप्रतिनिधियों की से इस और रूचि नहीं दिखाने के कारण स्वीकृति के बाद अब तक अधीन अस्पताल में 500 एमए की क्षमता वाली नई एक्सरे मशीन तक नहीं खरीदी जा सकी।
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खामियां दूर
एमसीआई की ओर से निरीक्षण के दौरान निकाली गई अधिकांश खामियों को पूरा कर लिया है। एसके अस्पताल का पट्टा, मेडिकल कॉलेज के लिए फर्नीचर और उपकरण की खरीद प्रदेश स्तर पर की जानी है। स्थानीय स्तर पर भामाशाह के जरिए बजट लेकर खामियां पूरी की जा रही है। पूरा प्रयास है कि निरीक्षण के दौरान किसी प्रकार की खामी नहीं हो। जो खामियां रह जाएंगी उन्हें फाइनल निरीक्षण से पहले पूरा कर लिया जाएगा। -डा. केके वर्मा, प्रिंसिपल सीकर मेडिकल कॉलेज