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दुनिया के सबसे कीमती पौधे की खेती कर रहे शेखावाटी के किसान, जानिए कैसे किया ये कमाल?

शेखावाटी में केसर की खेती को बढ़ावा देने में मोरारका फाउंडेशन ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

सीकरNov 25, 2017 / 12:06 pm

vishwanath saini

kesar ki kheti
सीकर/नवलगढ़. शेखावाटी के लोगों में कुछ नया करने का गजब जज्बा है। यहां के लोग कुछ भी कर सकते हैं। इस बात का उदाहरण है केसर की खेती। यही वजह है कि शेखावाटी के धोरे अब केसर की खुशबू से महक रहे हैं। खेतों में केसर के पौधे लहलहा रहे हैं।
शेखावाटी में केसर की खेती को बढ़ावा देने में मोरारका फाउंडेशन ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। फाउंडेशन के प्रयासों से ही कुछ किसानों ने प्रायोगिक तौर पर केसर की खेती करनी शुरू की। सबसे पहले नवलगढ़ के चैलासी गांव के किसान मुरलीधर सैनी ने इसकी खेती की। मोरारका हवेली में भी केसर की क्यारी तैयार की गई है। यहां पर करीब 10 फूल खिले हुए हैं। उक्त फूलों में केसर का उत्पादन होगा।
kesar in Morarka haveli nawalgarh
फाउंडेशन के मैनेजर अनिल सैनी ने बताया कि सर्दी का मौसम केसर की फसल के लिए श्रेष्ठ है। वर्तमान में मोरारका हवेली के अलावा कल्याणपुरा के रामावतार बुगालिया, चैलासी के मुरलीधर सैनी, बलवंतपुरा फाटक के संजू सैनी, बड़ी झीगर के ओमप्रकाश पचार, बसावा भानाराम सैनी, बलरिया का बास के नेमीचंद व धायलों का बास के बलवीरसिंह केसर की खेत कर रहे हैं। अनिल सैनी ने बताया कि एक पॉयलेट प्रोजेक्ट बनाकर सरकार के पास भेजा जाएगा। सरकार की ओर से सहायता मिलने पर इस फसल को शेखावाटी में भी बढ़ावा मिल सकेगा।
kesar ki kheti in khetri
इस किसान ने भी कर दिखाया कमाल

खेतड़ी तहसील के गौरीर गांव के दिव्यांग रामकुमार कुम्हार ने। रामकुमार ने केसर की खेती के बारे में अखबार में पढकर मन में ठान लिया कि वह गौरीर गांव में केसर की खेती करेगा। किराए पर खेत लिया तथा अपने मिलने वालों से किसी तरह रुपयों का जुगाड़ किया। तीन बीघा भूमि में लाखों रुपए का दो किलो बीज लाकर बुवाई करवा दी। उसकी मेहनत रंग लाई केसर की फसल लहलहाने लगी।
बसई सहायक कृषि अधिकारी अजयपाल सिंह कहते हैं कि किसान रामकुमार ने तीन बीघा खेत में केसर की फसल तैयार कर रखी है। फसल में फूल आने शुरू हो गए हैं। रामकुमार समय समय पर कृषि वैज्ञानिकों व कृषि विभाग के अधिकारियों का मार्ग दर्शन भी ले रहा है।
kesar
जानिए केसर और इसकी खेती के बारे में

– शेखावाटी में केसर की खेती कई मायनों में खास है। यहां धोरे हैं जबकि ये पहाड़ी क्षेत्र का पौधा है।
– विश्व का सबसे कीमती पौधा माने जाने वाले केसर की खेती भारत में जम्मू कश्मीर में होती है।
-जम्मू कश्मीर के किश्तवाड़ व पामपुर इसके लिए सबसे ज्यादा अनुकूल हैं।
-केसर के फूलों की कीमत तीन से साढ़े तीन लाख रुपए प्रति किलो के आस-पास रहती है।
-कश्मीरी की मांगरा केसर सर्वाेत्तम मानी जाती है। विश्व बाजार में इनकी मांग रहती है।
-राजधानी श्रीनगर से बीस किमी दूर पंपोर के खेतों में शरद ऋतु में सिर्फ केसर की ही खुशबू आती रहती है।
-समुद्रतल से लगभग 2000 मीटर ऊंचा पहाड़ी क्षेत्र एवं शीतोष्ण सूखी जलवायु केसर को उगाने के लिए की आवश्यकता होती है।
-केसर की खेती के लिए दोमट मिट्टी उपयुक्त रहती है। इसका पौधा वर्षा एवं हिमपात दोनों सहन कर लेता है।
-शेखावाटी का मौसम केसर की खेती के अनुकूल नहीं है, परन्तु अपने प्रयासों और जज्बे से ये कर पा रहे हैं।

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