बिना स्कूल लिया आखर ज्ञान भींवाराम का खुद का मानना है कि जातिगत भेदभाव के कारण उसे स्कूल में प्रवेश नहीं मिला। लेकिन, बावजूद इसके उन्होंने अपने आप को अनपढ़ नहीं रहने दिया और निजी स्तर पर अक्षर ज्ञान लिया। धीरे-धीरे पुस्तक पढऩा और कविताएं लिखना सीख लिया।
Must read: आस्था पर आतंक का हमला, जागरण में आए श्रद्धालुओं पर बरसाईं ताबड़तोड़ गोलियां, हर तरफ तबाही का मंजर.. बिदाम और दूध पर जोर भींवाराम के अनुसार योग आदि की क्रियाएं कर वे अपने शरीर को स्वस्थ रखने का प्रयास करते हैं। खुराक के तौर पर दोनों समय एक-दो चपाती और दूध का सेवन करता हूं। महीने में करीब डेढ़ किलो बिदाम भीगोकर खा लेता हूं।