शायद ही ऐसा कोई दिन हो जब शेखावाटी के रतनगढ़, रामगढ़ व फतेहपुर इलाके में हिरण का शिकार नहीं हो। यही वजह है कि शेखावाटी में लगातार हिरणों की संख्या कम हो रही है। इसके बाद भी वन विभाग नहीं चेता हो लेकिन राजस्थान पत्रिका की टीम ने तीन दिन व तीन रात तक इलाके के करीब 50 गांवों में घूमकर शिकारियों से संपर्क साधा तो हकीकत सामने आ गई। दो शिकारी तो उसी वक्त हिरण मारकर लाकर देने को तैयार हो गए। एक जगह तो दो पढ़े-लिखे युवा ही इसके लिए तैयार मिले। दो शिकारियों के वीडियो भी बनाए गए। एक जगह हिरण के कटे हुए अवशेष मिले। शिकारियों से संपर्क के बाद भी पत्रिका टीम ने हिरण का शिकार नहीं कराया और अगले दिन आने की कहकर लौट आए।
कल्याणपुरा गांव में खेतों की रखवाली करने वाले करणाराम बावरिया से संपर्क किया। कहा कि फोन पर ही बता दो क्या काम है। बाद में मिलने को तैयार हुआ। कल्याणपुरा में मिला। हिरण की बात करते ही बोला कब चाहिए। टीम ने कहा कल ला देना तो बोला सुबह आठ बजे घर आ जाना। खाल निकाल एकदम तैयार मिलेगा। भाव के बारे में पूछा तो बोला वही रोज वाले भाव। जब कहा कि रोज वाले कौनसे भाव, हम कोई आपके ग्राहक थोड़े ही हैं। तो बोला ग्राहक तो नहीं हो मैं तो डेढ़ सौ रुपए किलो देता हूं आप कुछ कम दे देना। खाल के बारे में पूछने पर कहा आपको चाहिए तो ले जाना नहीं तो मैं तो हमेशा खाल को जलाता हूं। हमारी टीम ने कहा कल अगर पार्टी हुई तो हम आपको फोन करेंगे तभी हिरण को मारना नहीं तो मत मारना। पूरी बातचीत वीडियो में रिकॉर्ड की गई।
रतनगढ़ इलाके के ठिठावता गांव में मोहन बावरिया के घर पहुंचे। उससे हिरण को लेकर बातचीत शुरू की तो बोला सब्जी मिल जाएगी। कब मिलेगी के सवाल पर बोला लडक़े लाने के लिए ही गए हुए हैं। उनके जैसे ही हाथ आएगा वे लेकर आ जाएंगे। उनके आने के बाद हम आपको फोन कर देंगे तो ले जाना। आपके नंबर दे जाओ। भाव की बात हुई तो बोला 150 रुपए किलो के लगेंगे। जब पूछा कि पूरा हिरण भी दे दोगे क्या तो बोला पूरे का क्या हिसाब है पांच किलो का भी हो सकता है और 10 का भी। हम तो तोलकर देंगे। मोलभाव कर टीम यहां से वापस लौट आई। बातचीत का वीडियो पत्रिका के पास है।
खेतों में हिरण के अवशेष ढूंढने के लिए पत्रिका टीम ने कई जगह चक्कर लगाए। रामसीसर गांव में एक बावरिया से संपर्क किया तो बोला क्या करोगे? जब उसको बताया कि टोने टोटके के लिए चाहिए तो बोला कल्याण पुरा के आगे सडक़ की तरफ एक खेत या जुगलपुरा व बागास की रोही में मिल सकते हैं। ज्यादातर हम तो अवशेष को जला देते हैं। कल्याणपुरा से आगे खेत में हिरण का सिर व पैरों के टुकड़े पड़े मिले। जिन पर छुरी के निशान भी साफ नजर आ रहे थे। इन अवशेष के पत्रिका टीम ने वीडियो बनाए।
टीम को जानकारी मिली कि रात को कई युवा भी हिरण पकड़ते हैं। यह लोग बाइक से पीछा करते हैं। इनकी तलाश के लिए गांवों के रास्तों में रात को चक्कर लगाए। रात करीब 11 बजे। रामसीसर से ढांढण रोड पर एक खेत में बाइक जाते हुए दिखाई दी। हमने अपनी बाइक बंद की तो पता चला दो बाइक सवार युवक एक हिरण का पीछा कर रहे थे। आवाज सुनाई दी कि दूसरे खेत में घुस गया अब हाथ नहीं आएगा। रास्ते में आने दो फिर पकड़ेंगे। रात का वक्त होने के कारण इनका वीडियो नहीं बन पाया। इससे पहले दिन में पत्रिका टीम ने दो युवकों से संपर्क किया तो बोले जिंदा पकड़ कर दे देंगे। आप किसी से कटवा लेना। हम तो बाइक से पकड़ लाते हैं।
राजस्थान हाईकोर्ट के एडवोकेट अनूप ढंड का कहना है कि किसी भी वन्य जीव को मारना अपराध है। सरकार ने वन्य जीवों के संरक्षण के लिए वन्य जीव अधिनियम बनाया है। वन्य जीवों को छेडऩा ही अपराध में आता है।
राजस्थान पत्रिका टीम इलाके के कई शिकारियों के घर पहुंची। इस दौरान सीकर व चूरू सहित कई जिलों के होटल मालिकों के फोन शिकारियों के पास आ रहे थे। दोनों की बातचीत से यही पता लगा कि होटल मालिक हिरण का मांस मंगाने के लिए कह रहा था।
जानकारी नहीं
ऐसी कोई जानकारी हमारे पास नहीं आई है। रामगढ़ व ढांढ़ण बीड़ हमारे क्षेत्र में है। अगर कोई शिकार जैसी जानकारी मिली तो जरूर कार्रवाई होगी। वन्य जीव को मारना अपराध है।
-राजेंद्र कुमार हुड्डा, डीएफओ सीकर