ऐसे होती है कमाई
-हम बात कर रहे हैं झुंझुनूं के मंडावा की। यहां अनेक हैरिटेज हवेलियां, कुएं और छतरियां हैं। इनमें से कमाई दो तरीके से होती है। एक पर्यटकों से और दूसरी फिल्मों की शूटिंग से। यही वजह हैं कि शेखावाटी में सर्वाधिक अच्छे होटल मंडावा में ही हैं। ज्यादातर होटल ऐतिहासिक हवेलियों में ही बने हुए हैं।
मंडावा की हवेलियां, कुएं व छतरियां
-चूड़ीवालों का कुआ
-हाईलैंड हाऊस
-स्नेहा राम लडिय़ा हवेली
-जोशी हवेली
-अखलियान जोहड़
-सौथलिया गेट
-मंडावा फोर्ट
मंडावा में इन फिल्मों की शूटिंग
-गुलामी
-कच्चे धागे
-कोई मेरे दिल से पूछे
-जब वी मेट
-लव आजकल
-सुपर से ऊपर
-पीके
-बजरंगी भाईजान
1980 में शुरू हुआ सिलसिला
वर्ष 1980 में फिल्म गुलामी से शुरू हुआ था मंडावा में शूटिंग का सिलसिला, जो आज भी जारी है। अब तक मंडावा में डेढ़ हजार फिल्मों व विज्ञापनों की शूटिंग हो चुकी है। खास बात यह है कि शूटिंग के लिए आने वाली यूनिट मंडावा के होटलों में ही ठहरती है। मंडावा कस्बे के साथ-साथ आस-पास की ग्रामीण लोकेशन पर भी शूटिंग होती है। ग्रामीणों का रोल अधिकांश शूटिंग के दौरान स्थानीय लोगों को मिलता है। ऐसे में अकेली एक फिल्म से मंडावा को 40 करोड़ से ज्यादा की आय हो जाती है।
सर्वाधिक फ्रांस के पर्यटक आते हैं मंडावा
पर्यटन विशेषज्ञ मंडावा निवासी अशोक धाबाई की मानें तो मंडावा आने वाला हर दूसरा पर्यटक फ्रांस का होता है। इसके पीछे एक रोचक स्टोरी है। कहा जाता है कि अस्सी के दशक में नीमराणा फोर्ट के मालिकों में से एक अमननाथ अपने फ्रांस के एक दोस्त के साथ निवेश के इरादे से मंडावा आए। फ्रांस के उनके दोस्त को मंडावा की हवेलियों पर फ्रेशको पेंटिंग काफी पसंद आई। उस पर उन्होंने 1983 में पेंटेड होम्स ऑफ शेखावाटी नाम से किताब लिखी, जो फ्रांस में काफी लोकप्रिय रही। इसी के चलते उन्होंने में पर्यटन के क्षेत्र में निवेश करने की ठानी और फ्रांस के सिनमाघरों में मंडावा के हवेलियों की खूबसूरती के विज्ञापन करवाए गए। नतीजा यह रहा कि फ्रांस के पर्यटकों का मंडावा की तरफ रुख हो गया, आज भी जारी है।
ऐसे पहुंचे मंडावा
सडक़ मार्ग से
झुंझुनूं से दूरी 35 किमी
सीकर से दूरी 59 किमी
जयपुर से दूरी 169 किमी
दिल्ली से दूरी 250
नजदीकी रेलवे स्टेशन
फतेहपुर शेखावाटी – 21 किमी
नजदीकी हवाई अड्डा
सांगानेर जयपुर – 169