गौरतलब है कि पहले मरीजों को इस प्रकार की जटिल सर्जरी के लिए जयपुर या बीकानेर जाना पड़ता था और सर्जरी की एवज में हजारों रुपए खर्च करने पड़ते थे। इससे पहले भी एसके अस्पताल में कूल्हे की हड्डी और स्पाइन सर्जरी हो चुकी है। अब तक अस्पताल में घुटना प्रत्यारोपण किया जा चुका है।
कम होते हैं घाव
ऑपरेशन के बाद मरीज को वार्ड में शिफ्ट कर दिया और मरीज की स्थिति में सुधार है। एसोसिएट प्रोफेसर डा हरि सिंह खेदड ने बताया कि सामान्य सर्जरी की तुलना में एंडोस्कोपी सर्जरी के दौरान घाव कम गहरे होते हैं और जल्दी रिकवरी होती है। ऑपरेशन के तीन दिन बाद मरीजो को छुट्टी दे जाएगी। एक सप्ताह में मरीज की दिनचर्या सामान्य हो जाएगी। ऑपरेशन सर्जन इएनटी विभागाध्यक्ष व प्रोफेसर डा जीएस थालौड, डा. पूजा आर्य, डा. सुमन विश्नोई,एनेस्थिेटिक डा. एमएस गढ़वाल नर्सिंग स्टाफ संजू, महेन्द्र, दिनेश की टीम ने किया।
चिकित्सकों का अनुभव काम आया
चिकित्सकों ने बताया कि इएनटी विभाग में रोजाना तीन से चार मरीज ये समस्या लेकर आते हैं। जिसकी वजह है कि बचपन में चोट लगने के कारण या जन्मजात विकृति के कारण नाक की हड्डी टेडी हो जाती हे। उम्र बढऩे के साथ ही संबंधित को सांस लेने में परेशानी होती है। साथ ही बार-बार छींक आना और एलर्जी की समस्या होने लगती है।