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सीकर

जरा सोच समझकर ही खरीदे बुखार की दवा, आपकी जान भी ले सकती है ऐसी दवा, पढ़ें चौँका देने वाली रिपोर्ट…

दवा का उत्पादन करने वाली कई कंपनियां मोटे मुनाफे के लालच में मरीजों की सेहत के साथ खिलवाड़ कर रही हैं।

सीकरAug 12, 2017 / 11:14 am

vishwanath saini

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दवा का उत्पादन करने वाली कई कंपनियां मोटे मुनाफे के लालच में मरीजों की सेहत के साथ खिलवाड़ कर रही हैं। प्रदेश में कम गुणवत्ता वाली दवाइयां रोगियों तक पहुंचाई जा रही हैं। बानगी यह है कि जिले में पिछले तीन साल में जांच के दौरान 250 दवाइयां अवमानक मिली हैं। जिनमें बुखार, जुकाम, दर्द, एंटीबाइटिक, एलर्जी, सीरप व इंजेक्शन आदि शामिल हैं। कम गुणवत्ता की दवा सामने आने पर औषधि नियंत्रक विभाग ने 93 फर्मों के लाइसेंस भी सस्पेंड किए हैं। लेकिन अवमानक दवा मिलने का सिलसिला जारी है। हालांकि इन फर्मों के खिलाफ कार्रवाई करते हुए विभाग ने 17 के खिलाफ कोर्ट में केस भी दर्ज करवाए हैं। जिसका खुलासा स्वयं औषधि नियंत्रक विभाग की रिपोर्ट में किया गया है।

पिछले दिनों श्याम मेडिकल एजेंसी ने पूरे प्रदेश में करीब एक करोड़ की दवा का बेचान किया था। दवा में जुकाम, बुखार, एंटीबाइटिक सहित सौ से अधिक प्रकार की दवाइयां शामिल थी। रिपोर्ट के अनुसार जांच में विभाग को बिना लाइसेंस दवा बांटने वाली 13 फर्मों के खिलाफ एफआईआर दर्ज करानी पड़ी।
2014
एक जनवरी 2014 से दिसंबर 2014 तक औषधि नियंत्रक विभाग को 133 प्रकार की दवा कम गुणवत्ता की मिली। 39 फर्मों के लाइसेंस सस्पेंड किए गए। जिनमें बिक्री व उत्पादन के लाइसेंस शामिल हैं। गंभीर स्थिति वाली 14 फर्मों के खिलाफ कोर्ट केस भी किए गए।
2015
एक जनवरी 2015 से दिसंबर 2015 तक विभाग को 43 तरह की दवा जांच में अवमानक मिली। जिनमें तीन के खिलाफ कोर्ट केस व आठ के लाइसेंस सस्पेंड किए गए। निरीक्षण के दौरान विभाग को बिना लाइसेंस संचालित हो रही 13 फर्मों के बारे में भी पता चला, जिनके खिलाफ थानों में एफआईआर दर्ज कराई गई।
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2016

एक जनवरी 2016 से दिसंबर 2016 के बीच जांच रिपोर्ट में 69 दवा कम गुणवत्ता वाली मिली। 21 का लाइसेंस सस्पेंड करने पड़े। गौर करने वाली बात यह है कि इनमें पिछले दिनो एक दवा अवमानक निकली वो सरकारी डीडीडब्ल्यू की थी।

विभाग की ओर से हर वर्ष औसतन 75 नमूने लिए जाते हैं। पिछले तीन वर्षों के दौरान करीब 250 प्रकार की दवाएं अवमानक निकली हैं। प्रयोगशाला पर कार्य भार ज्यादा होने के कारण 2017 के नमूने की रिपोर्ट आनी बाकी है।
– मनोज गढ़वाल, ड्रग कंट्रोलर सीकर

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