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सीकर

108 मीटर लंबी चुनरी से भाई ने भरा भात, नाचते-गाते पहुंचे बहन के घर

Chaitra Navratri 2018 : नवरात्र के पहले दिन रविवार को मां जीण के भाई हर्षनाथ भैरव मंदिर की तरफ से जीणमाता के भात भरा गया।

सीकरMar 19, 2018 / 05:18 pm

vishwanath saini

Jeen Mata sikar Rajasthan

जीणमाता (सीकर).

घट स्थापना के साथ ही जीणमाता का प्रख्यात लक्खी मेले का शुभारंभ हो गया। नवरात्र के पहले दिन रविवार को मां जीण के भाई हर्षनाथ भैरव मंदिर की तरफ से जीणमाता के भात भरा गया। भैरव मंदिर के पुजारियों के नेतृत्व में श्री जीणमाता सेवा संघ सूरत के तत्वावधान में हर्ष गांव के लोग जीणमाता का भात लेकर भरने आए। हर्षनाथ के प्रहलाद पुजारी व कमल पुजारी ने बताया कि माता को 108 मीटर लंबी चुनरी अर्पित की गई। मुख्य मंदिर में किशन पुजारी ने माता को चुनरी अर्पित करवाई। इस मौके पर अरूण खेतान, मुकेश खेतान आदि उपस्थित रहे।

चैत्र नवरात्र में सजा जीणमाता का दरबार

 

चैत्र नवरात्र 2018 की घट स्थापना के साथ ही जीणमाता के प्रख्यात लक्खी मेले की शुरूआत हो गई। शाही पोशाक व काठमाण्डू से मंगवाए विशेष फूलों से श्रृंगारित जीणमाता के दर्शनों के लिए अलसुबह से ही श्रद्धालु उमड़ पड़े।

मुख्य मंदिर में महेन्द्र पुजारी, बशीधर पुजारी, किशन पुजारी, जुगल पुजारी व भगवानङ्क्षसह चौहान आदि परिवारों के पुजारियों ने विधिवत घट स्थापना करवाकर मेले की शुरुआत की।

अवकाश के कारण मुख्य मंदिर में दोपहर को विशेष भीड़ रहने से श्रद्धालुओं को दर्शन के लिए खासी मशक्कत करनी पड़ी। इससे पूर्व जीणमाता की महाआरती में भी श्रद्धालुओं का तांता लगा रहा। भंवरामाता मंदिर, हर्षनाथ मंदिर में भी दर्शन किए। मुख्य मंदिर में अतिरिक्त कलेक्टर जयप्रकाश व पुलिस उप अधीक्षक तेजपाल सिंह ने व्यवस्थाओं का जायजा लिया।

 

Jeen Mata mandir sikar

क्या है हर्ष-जीण की कहानी

जीणमाता (जीण) व हर्ष भाई-बहन हैं। इनका जन्म राजस्थान के चूरू जिले के घांघू में हुआ था। दोनों भाई-बहन में अटूट स्नेह था। किदवंती है कि एक बार जीण और उसकी भाभी (हर्ष की पत्नी) पानी के मटके लेकर घर आ रही थी।

रास्ते में दोनों के बीच शर्त लगी कि हर्ष पहले मटका किसका उतारेगा। जीण को विश्वास था कि उसका उससे अटूट स्नेह करता है कि इसलिए पहले मटका जीण के सिर से उतारेगा।

हर्ष को दोनों की शर्त का पता नहीं था और उसने सामान्य तौर पर अपनी पत्नी के सिर से मटका पहले उतार दिया। इस बात से नाराज होकर जीण गांव घांघू से सीकर जिले में आ गई।

हर्ष को जब पूरी बात पता चली तो वह बहन जीण को मनाने उसके पीछे-पीछे आया। जीण सीकर से थोड़ी दूर खाटूश्यामजी की तरफ अरावली की पहाडिय़ों में पहुंची और पहाडिय़ों में समा गई।

इधर, कुछ दूर पहले हर्ष भी अरावली की पहाडिय़ों में समा गया। दोनों के मंदिर बन गए। जीण माता ने मुगल बादशाह औरंगजेब की सेना को भी चमत्कार दिखाया था। मंदिर तोडऩे आई सेना पर जीणमाता की मधुमक्खियों की सेना ने हमला कर बादशाह की सेना को धूल चटा दी थी।

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