अंतरराष्ट्रीय बाजार तक पहुंचाने हैं हमारे उत्पाद
पंच गौरव योजना के जरिए हमारे पर्यटन स्थलों से लेकर खेल व उत्पाद अंतरराष्ट्रीय बाजार तक पहुंच सकते हैं। एक्सपर्ट का कहना है कि जिस तरीके से कोटा डोरिया के लिए और बीकानेर नमकीन के लिए देशभर में मशहूर है। बूंदी बासमती चावल, अजमेर जटिल संगमरमर के काम से लेकर तथा बारां कृषि उत्पादों के लिए जाना जाता है।इन जिलों की पहचान पर आया संकट
पिछली सरकार के समय बने नीमकाथाना, दूदू, केकड़ी, शाहपुरा, गंगापुरसिटी, जयपुर ग्रामीण, जोधपुर ग्रामीण, अनूपगढ़, सांचौर जिलों को खत्म कर दिया था। इससे अब इन जिलों की पहचान को आगे बढ़ाने वाली पंच गौरव योजना पर प्रश्नचिन्ह लग गया है।ऐसे समझें जिलों की जनता का दर्द
1. हमारी पहचान अब कैसे होगी मजबूत नीमकाथाना जिले की पंच गौरव योजना में खनिज के तौर पर फेल्सपार, पैदावार के तौर पर आंवला, खेल के लिए कुश्ती व प्रजाति में नीम, पर्यटन में मनसा माता का चयन हुआ था। जिला बरकरार रहता तो इन पांचों पहचानों को आगे बढ़ाने के लिए सरकार बजट का प्रावधान करती।राजस्थान में नए जिले खत्म होने के बाद मचे सियासी घमासान के बीच आई बड़ी खबर
यह है पंच गौरव योजना
राज्य सरकार ने पिछले साल पंच गौरव योजना का ऐलान किया था। इसके तहत राज्य सरकार ने हर जिले में एक उपज, एक वानस्पतिक प्रजाति, एक उत्पाद, एक पर्यटन स्थल एवं एक खेल पर विशेष फोकस का ऐलान किया था। सरकार ने दावा किया था कि पंच गौरव के लिए अलग से बजट भी दिया जाएगा।इस जिले को रद्द करने पर हाईकोर्ट ने सरकार से मांगा जवाब, याचिकाकर्ता को भी चेताया
एक्सपर्ट व्यू…
सरकार ने सभी जिलों में रोजगार के नए विकल्प शुरू करने और अर्थव्यवस्था को मजबूत करने के लिए पंच गौरव योजना शुरू की थी। सरकार ने भले ही जिले रद्द कर दिए, लेकिन पंच गौरव को पिछले जिलों की संख्या के आधार पर आगे बढ़ाना चाहिए। इससे राजस्थान की अर्थव्यवस्था और मजबूत हो सकेगी।-गणेश कुमार शर्मा, सेवानिवृत्त उपनिदेशक, सीकर
Hindi News / Sikar / राजस्थान के 9 जिलों की ‘पहचान’ पर भी संकट, भजनलाल सरकार की इस योजना पर फंसा पेंच; ऐसे समझें जनता का दर्द