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एनीकटों की दीवार में दरार, कैसे रूकेगा मानसून का पानी

टोडा/नीमकाथाना. राज्य में मानसून सिर पर है, लेकिन शासन-प्रशासन का क्षेत्र में बने एनीकटों की टूटी दीवारों की तरफ ध्यान नहीं है।

सीकरJun 28, 2020 / 07:41 pm

Ashish Joshi

एनीकटों की दीवार में दरार, कैसे रूकेगा मानसून का पानी

एनीकटों की दीवार में दरार, कैसे रूकेगा मानसून का पानी

-सुनील कुमार रोहिल्ला
टोडा/नीमकाथाना. राज्य में मानसून सिर पर है, लेकिन शासन-प्रशासन का क्षेत्र में बने एनीकटों की टूटी दीवारों की तरफ ध्यान नहीं है। क्षेत्र में कई एनीकट १० साल या इससे अधिक पुराने है जिनकी दीवारों में दरार पडऩे से पानी रिसकर बह जाता है। मानसून के दौरान एनीकटों में एकत्र होने वाला पानी चंद महीनों में ही रिसकर बह जाता है। दो साल पहले अतिवृष्टि के दौरान रावताली में बने एनीकट की दीवार टूट गई थी, जिससे एनीकट का सारा पानी बह गया था, लेकिन दो साल बीत जाने के बाद भी अभी तक एनीकट की दीवार नहीं बन पाई। वहीं टपकेश्वर धाम पर बने एनीकट की दीवार में सेंध हो जाने से पानी बह जाता है।
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तीन महीनों में रीत जाता है एनीकट
मानसून के दौरान टपकेश्वर धाम में बना एनीकट लबालब हो जाता है। एनीकट की दीवार के सेंध होने से तीन महीनों में ही रीत जाता है। एनीकट की सुरक्षा दीवार यदि ठीक करवा दी जायें तो उसमे एक वर्ष तक पानी रहेगा । इससे वन्य जीवों को बड़ी राहत मिल सकती है।
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दिल्ली की संस्था ने बनवाया था एनीकट
टपकेश्वर धाम में बना एनीकट दिल्ली की पीएचडी नाम की संस्थान ने बनवाया था। इस संस्थान ने क्षेत्र में कई एनीकट बनवाये है। इनमें से कुछ एनीकट जो १० वर्ष या इससे पहले के बने है। उनकी दीवार में छेद हो जाने से पानी रिसने लगा है। यह संस्थान एनीकट बनाने के बाद इनकी मरम्मत की तरफ कोई ध्यान नहीं दे रही है। संस्थान एक बार एनीकट बनाने के बाद इनकी कोई सुध नहीं लेती है।
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बूजा एनीकट की दीवार जर्जर
नजदीकी गांव बूजा में बने एनीकट की दीवार जर्जर हो चुकी है। एनीकट के भर जाने पर जर्जर दीवार से पानी रिसकर बह जाता है। दीवारों में हुई दरारों के कारण इस एनीकट में पानी नहीं टिकता। मानसून के दौरान एनीकट लबालब हो जाता है। जो चंद महीनों बाद ही खाली हो जाता है। यह एनीकट वन क्षेत्र में होने के कारण जंगली जीवों की प्यास बुझाने के लिए कारगर है, दीवारों में सेंध होने पर गर्मी शुरू होने से पहले ही एनीकट से पानी रीत जाता है।
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अब तक नहीं बन पाई सुरक्षा दीवार
जुलाई २०१८ में मूसलाधार बारिश से ढाणी रावताली में बना एनीकट ओवरफïलो से सुरक्षा दीवार बह गई थी। जिसके कारण एनीकट का काफी पानी बह गया। गनीमत रही कि इसके आसपास कोई घर नहीं थे अन्यथा काफी नुकसान हो सकता था। इस सुरक्षा दीवार को टूटे हुए पूरे दो साल होने को है, लेकिन अभी तक विभाग ने इसकी तरफ कोई ध्यान नहीं दिया।
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एनीकट की जर्जर दीवारों से खतरा
नजदीकी गांव बूजा सहित अन्य कई गांवों में एनीकट की दीवारें जर्जर है। बूजा बांध पुराना होने के कारण सुरक्षा दीवार अब क्षतिग्रस्त हो गई है। ऐसे में मानसून के दौरान मूसलाधार बारिश से सुरक्षा दीवार को काफी खतरा है। ऐसे में यदि सुरक्षा दीवार टूट गई तो बड़ी क्षति हो सकती है।

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