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भारत की 58 फीसदी महिलाएं अपने बच्चे को पैदा होते ही देती हैं यह ‘सजा’

नेशनल फै मिली हैल्थ सर्वे (एनएचएफएस) की रिपोर्ट : राजस्थान में सिर्फ 28 फीसदी महिलाएं ही नवजात बच्चों को पिलाती हैं दूध

सीकरOct 07, 2017 / 03:46 pm

vishwanath saini

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जोगेन्द्र सिंह गौड़ सीकर. भारत की 42 व राजस्थान की 28 फीसदी महिलाएं ही ऐसी हैं जो बच्चे के जन्म के एक घंटे के दौरान उनको अपना पहला दूध पिला रही हैं। इस लिहाज से जन्म के तुरंत बाद स्तनपान नहीं करवाकर भारत में 58 और राजस्थान में 72 फीसदी महिलाएं अपने नवजात को ‘सजा’ दे रही हैं।
विशेषज्ञों के अनुसार शिशु मृत्यु दर में सुधार लाने और नवजात बच्चे की अच्छी सेहत के पीछे उसे मिलने वाला मां का गाढा दूध ही है। यदि जन्म के एक घंटे के दौरान प्रसूताएं अपने बच्चे को दूध पिलाती हैं तो 22 फीसदी शिशु मृत्युदर से बच्चों को बचाया जा सकता है।
सर्वे की रिपोर्ट के तहत प्रदेश में गत वर्षों की तुलना में साक्षरता दर तो बढ़ी है। लेकिन, बावजूद इसके 72 फीसदी माएं उसके जन्म लेने वाले बच्चे को स्तनपान ना कराकर निरक्षरता का परिचय दे रही हैं। यहीं नहीं प्रथम छह माह नवजात शिशु को सिर्फ मां का दूध ही देना होता है। लेकिन महिलाएं इसमें भी पिछड़ रही हैं।
राजस्थान प्रदेश के एनएचएफएस के आंकड़े बताते हैं कि करीब 10 लाख 18 हजार बच्चों को ही प्रथम छह माह सिर्फ मां का दूध पिलाया जा रहा है। जबकि सात लाख 32 हजार बच्चे ऐसे हैं। जिनको मां के दूध के साथ अन्य ऊपरी आहार भी दिया जा रहा है। जो, बच्चे के स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है। क्योंकि मां के द्वारा पहले छह महीने में बच्चे की खुराक के अनुसार ही उसके शरीर में दूध बनता है।
सीकर के प्रसूति रोग विशेषज्ञ डा. बी.एल. राड़ का कहना है कि मां यदि उसके जन्मे नवजात को अपना पहला दूध पिलाती है तो उसको रक्तस्त्राव की शिकायत नहीं रहती और बच्चे के प्रति लगाव भी बढ़ता है। शिशु रोग विशेषज्ञ डा. मदन सिंह फगेडिय़ा के अनुसार मां का पहला दूध पीने से बच्चे के अंदर रोग प्रतिरोधक क्षमता का विकास होता है। जिससे बच्चा स्वस्थ रहता है।
Indian breastfeed
शेखावाटी में भी महज 35 हजार ने पिया दूध
बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ जैसे सरकारी अभियान से जुड़े राजन चौधरी का कहना है कि पिछले वर्ष 2015-16 में सीकर जिले में हुए संस्थागत प्रसव में 11 हजार 361 बच्चों ने ही शुरूआत के एक घंटे में मां का दूध पिया।
वहीं चूरू में 15 हजार 381 व झुंझुनूं जिले में आठ हजार 147 बच्चों ने शुरू के एक घंटे में स्तनपान किया था। हालांकि शेखावाटी के तीनों जिलों में 80 फीसदी से अधिक संस्थागत प्रसव होते हैं। यदि प्रसव के दौरान महिला के साथ जागरूक अभिभावक हो या मौके पर मौजूद नर्सिंग स्टाफ लापरवाही नहीं बरते तो बच्चे व मां के स्वास्थ्य को सुधारा जा सकता है।
सीकर में दो दर्जन ही यशोदाएं
चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग की ओर से अकेले सीकर जिले में 24 यशोदाएं एसके व नीमकाथाना के कपिल अस्पताल में लगा रखी हैं। जिनका काम मां को दूध पिलाने की विधि बताकर समय पर बच्चे को दूध पिलवाने का है।

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