
सीधी. मझौली के जंगलों में मिलने बाला महुआ अब महिलाओं के जीवन में मिठास घोलने का काम रहा है। नौढ़िया गांव की तमाम महिलाएं महुए के लड्डू बनाकर अच्छी खासी इंकम प्राप्त कर रही हैं। वह इस नवाचार के जरिए बदलाव व स्वालंबन की इबारत भी लिखने का काम कर रही हैं। दावा किया कि इससे नशामुक्ति समाज के निर्माण में भी मदद मिलेगी।
महुआ लड्डू में उपयोग कर लिया जाएगा तो निश्चित ही आदिवासी इलाकों में घर-घर बनने वाली शराब में कमी आएगी और इससे बर्बाद होने वाले परिवार सुरक्षित व संस्कारित होंगे। न सिर्फ महिलाएं बल्कि घर-परिवार में भी आर्थिक सम्मृद्धि आएगी। जीवनस्तर सुधरेगा। नौढ़िया गांव की तकरीबन दो दर्जन महिलाओं यह पहल अन्य महिलाओं को प्रेरित करती हैं।
एक किलो महुआ से ऐसे तैयार होता है बनते हैं 35 लड्डू
कारोबार से जुड़ीं महिलाओं के अनुसार, हमारे गांव की महिलाएं मिलकर करीब 150 लड्डू रोजाना बनाती हैं। होटलों और दुकानों में पांच रुपए पीस ब्रेचती हैं। हर दिन लड्डू बेचकर रुपए मिलते हैं। एक किलो महुआ से 35 लड्डू बनते हैं। ये महिलाएं 25 से 28 रुपए किलो महुआ खरीदती हैं।
महुआ का लड्डू
सबसे पहले महुआ को पानी में फुलाया जाता है। इसके बाद उसे सुखाकर घी में तल कर ड्राइफूड, सौंप, इलायची व गुड़ मिलाकर ओखली में कूटा जाता है। फिर कहीं जाकर लड्डू बनाते हैं। बढ़ती डिमांड को देखते हुए महिलाओं ने आपस में काम बांट लिया है। कुछ लड्डू बनाने तो कुछ मार्केटिंग करती हैं। मझौली व कुसमी क्षेत्र में महुए की पैदावार ज्यादा होती है। इसका उपयोग प्राय: शराब बनाने में होता था। महुआ से बनी शराब पीकर घर-परिवार के सदस्य बर्बाद होते थे। लेकिन, लड्डू बनाने की पहल से एक तो शराब की लत दूर होगी, वहीं महिलाएं सशक्त होंगी।
Published on:
21 Feb 2022 07:29 pm
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