रुला देगी ये इमोशनल स्टोरी
76 वर्षीय बूढ़ी मां की गोद में 36 साल के दिव्यांग पुत्र सुखराम का चेहरा निर्दोष मुस्कान से चमक रहा है। जन्मजात दिव्यांगता के कारण सुखराम का कद नहीं बढ़ पाया। वे चारपाई से उठ भी नहीं पाते। लेकिन, सुखराम की इस कमजोरी ने कभी भी उनकी मां गनेसिया के प्यार और हौसले को कमजोर नहीं किया। हर माता पिता की लालसा कि बेटा बुढ़ापे की लाठी बनेगा। लेकिन जवान बेटे को गोद में पालना पड़े, इसे विडंबना नहीं तो और क्या कहेंगे।
सीधी जिले के मझौली जनपद अंतर्गत पांड़ निवासी 76 साल की बेवा गनेसिया साहू की है। उसका बेटा सुखराम जन्म से ही दिव्यांग है। खिलाने-पिलाने से लेकर हर काम मां के हाथ सुखराम के शरीर का विकास नहीं हुआ। केवल चेहरा और पेट का भाग बढ़ा। हाथ और पैर छोटे ही रह गए। ऐसी हालत में वह ना तो चल पाता है और न ही बिस्तर से उठ पाता है। दिव्यांग होने के कारण सुखराम का हर काम उसकी 76 साल की मां ही करती है। इस तस्वीर ने ये तो साफ कर दिया कि मां की ममता कभी नहीं बदलती…
अब ढलती उम्र में बेवा मां की रातों की नींद गायब हो चली है। उसे यह डर सताने लगा है कि उसके बाद बेटे का क्या होगा? सुखराम के सिर से पिता का साया बचपन में उठ गया था। गनेसिया की तीन संताने हैं। दो लड़की और एक लड़का। मां ने मजदूरी कर बच्चों को पाला और लोगों के सहयोग से दोनों बेटियों का विवाह किया।
दिव्यांग बेटे की बेबसी को देखकर गनेसिया एक बार सुखराम के साथ मौत को गले लगाने के लिए टोकनी में लेकर घर से निकल पड़ी थी। हालांकि अंतिम समय में बेटे की मुस्कान ने उसे आत्महत्या करने से रोक लिया था। वही दिन था जब इस मां ने बेटे को गले लगाकर जीने का प्रण कर लिया था।
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