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शिवपुरी

बाढ़ के बाद नदी से निकल रहे चांदी के सिक्के, तेज बहाव के बीच नदी में गोते लगा रहे लोग

शिवपुरी जिले में स्थित सिंध नदी से 280 साल पुराने चांदी के सिक्के निकल रहे हैं। ग्रामीणों में लगी सिक्के बीनने की होड़।

शिवपुरीAug 09, 2021 / 05:46 pm

Faiz

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बाढ़ के बाद नदी से निकल रहे चांदी के सिक्के, तेज बहाव के बीच नदी में गोते लगा रहे लोग

शिवपुरी/ हालही में बारी बारिश के कारण अपना रोद्र रूप दिखाने वाली सिंद नदी इन दिनों चांदी के सिक्के उगल रही है। जिले में पचावली गांव के पास सिंध नदी में कहीं से चांदी के सिक्के बहकर आ गए। बाढ़ की मार झेल चुके ग्रामीणों ने इस चमत्कार मानते हुए नदी से सिक्के निकालने की होड़ लगा डाली। मामले की जानकारी करीब 6 घंटे बाद पुलिस को लगी। लेकिन, तब तक पुलिस मौके पर पहुंची, तब तक ग्रामीण नदी से निकलकर भाग चुके थे। घटना रविवार की बताई जा रही है। हालांकि, सिंध नदी अब अपने उस रोद्र रूप में नहीं है, फिर भी सामान्य दिनों के मुकाबले बहाव अधिक होने की वजह से नदी में लोगों के इस तरह जान जोखिम में डालने से बचाने के लिये मौके पर पुलिस जवान तैनात करने पड़े।

 

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280 साल पुराने हैं सिक्के

सोमवार को भी पुलिस मौके पर तैनात है, बावजूद इसके ग्रामीण नदी के अन्य घाटों पर नदी में उतरकर चांदी के सिक्के तलाश रहे हैं। प्राप्त जानकारी के अनुसार, ग्रामीणों को मिलने वाले चांदी के सिक्के विक्टोरिया छाप के बताए जा रहे हैं। एक अनुमान के अनुसार, ये सिक्के करीब 280 साल पुराने हैं।


पहले 6 लोगों को मिले नदी से सिक्के

बता दें कि, जिले के पचावली गांव में गोपाल दांगी नामक युवक का पुराना मकान सिंध नदी के घाट पर है। बारिश के कारण उफान पर आी सिंध नदी के बहाव के चलते गोपाल दांगी के घर की पिछली दीवार ढह गई थी। गांव के 4-5 युवक रविवार सुबह करीब 6 बजे घर का सामान उठाने के लिए नदी में उतर गए। इस दौरान नदी में युवकों को चांदी के सिक्के मिले। खबर पूरे गांव में आग की तरह फैल गई। देखते ही देखते नदी से सिक्के लूटने के लिए ग्रामीणों ने तेज बहाव वाली नदी में गोते लगाने शुरु कर दिये। रन्नौद थाना पुलिस दोपहर 12 बजे पचावली पहुंची, लेकिन ग्रामीणों को इसकी जानकारी पहले ही लग गई, जिसके चलते पुलिस के मौके पर पहुंचने से पहले ही ग्रामीण वहां से भाग निकले।


18वीं सदी के सिक्के

ग्रामीणों को जो सिक्के मिले हैं, उनके फोटो सामने आए हैं। चांदी के यह सिक्के 18वीं सदी के हैं। ईस्ट इंडिया कंपनी के सिक्कों पर सन् 1840 दर्ज है। रानी विक्टोरिया छाप वाले सिक्कों पर 1862 दर्ज है। वहीं, ग्रामीणों का कहना है कि, सबसे पहले हरदल केवट नामक युवक को काले रंग का एक मटका मिला था। संभवत: सिक्कों से भरा यह मटका बाढ़ में डूबे किसी घर या नदी किनारे की मिट्‌टी ढहने से बहकर आया होगा। इस मटके में भरे 18वीं सदी के चांदी के सिक्कों को चार-पांच लोगों ने आपस में बांट लिया।

 

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