शिक्षक नगेन्द्र रघुवंशी निवासी शिवशक्ति नगर ने बताया कि मेरा बेटा मितांश रघुवंशी (26) सॉफ्टवेयर इंजीनियर होकर दिल्ली की एक प्राइवेट कंपनी में काम करता है। बेटे मितांश का बैंक खाता दिल्ली की आईसीसीआई बैंक में है। अभी कुछ दिनों से मितांश शिवपुरी में रहकर ही कंपनी का काम वर्क फ्रॉम होम कर रहा है। बेटे मितांश ने तीन दिन पूर्व एक सॉफ्टेवेयर मंगाने के लिए ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन किया तो बेटे के पास जो ङ्क्षलक आई, उस पर आधार कार्ड मांगा गया। बेटे ने आधार कार्ड दे दिया, इसके बाद उसके खाते से दो लाख रुपए नकद जो कि बैंक पहले से जमा थे, वह गायब हो गए। इसके बाद बेटे के आधार कार्ड व क्रेडिट कार्ड से दो निजी बैंको से 19 लाख रुपए का लोन भी ठगों ने पास करा लिया और लोन की यह राशि बेटे के खाते में आने के बाद उसे गायब भी कर दिया।
यह पूरा घटनाक्रम महज तीन दिन में हुआ और बेटे को पता नहीं चला। बाद में जब मैसेज आए और खाते की डिटेल ली गई तो उसमें से 2 लाख रुपए नकद सहित बेटे के नाम पर लिया गया लोन जो कि बेटे ने लिया ही नही, वह 19 लाख रुपए की राशि भी खाते से गायब हो गई। शिक्षक नगेन्द्र का कहना है कि हमने लोन के लिए जब एप्लाई नही किया तो बैंक ने लोन कैसे दे दिया और इतनी जल्दी लोन स्वीकृत होकर खाते से भी गायब हो गया। कहीं न कहीं उस बैंक प्रबंधन के लोग भी इस ठगी में शामिल है। इस तरह से इतनी बड़ी ठगी उनके साथ कैसे हो गई। इसे मामले में शिक्षक नगेन्द्र ने एसपी कार्यालय शिवपुरी में शिकायत की है, जबकि बेटा दिल्ली स्थित बैंक प्रबंधन से पूरे मामले में कार्रवाई की मांग कर रहा है। इस संबंध में जब दिल्ली स्थित बैंक प्रबंधन से बात की गई तो उन्होंने महज पुलिस कार्रवाई की बात बोलकर पूरे मामले से अपना पल्ला झाड़ लिया।
सॉफ्टवेयर इंजीनियर नहीं समझ पाया साइबर ठगी
मितांश खुद सॉफ्टवेयर इंजीनियर है। उसके साथ तीन दिनमें इतना बड़ी साइबर ठगी हो गई और वह खुद इंजीनियर होने के बाद इस घटना के बारे में नहीं समझ पाया। यह पूरा घटनाक्रम में ऑनलाइन सॉफ्टवेयर मंगाने के फेर में ही घटित हुआ है। साथ ही जिस तरह से महज आधार कार्ड पर इतनी बड़ी राशि का लोन कैसे इतनी जल्दी स्वीकृत हो गया, यह बात भी समझ से परे है।
किसी भी व्यक्ति के मोबाइल को एनी डेक्स अथवा अन्य सॉफ्टवेयर की मदद से काबू में कर सकते है। छोटी रकम की ठगी तो कोई भी ठग कर सकता है। पर इतनी बड़ी राशि लोन के रूप में ठगी करना आसान नहीं है। हो सकता है कि जिन बैंकों से लोन हुआ है, उनकी इसमें मिलीभगत भी हो। बाकी वास्तवित स्थिति मामले की जांच के बाद स्पष्ट हो पाएगी।
कृपाल ङ्क्षसह राठौड़, साइबर सेल प्रभारी, शिवपुरी