बताया गया है कि पिछली प्रदेश सरकार के संस्कृति विभाग ने पर्यटन विभाग को देने की मंशा से मध्यप्रदेश के संरक्षित घोषित स्मारक/क्षेत्रों में से 10 स्मारकों को 25 जनवरी 2018 को असंरक्षित घोषित किया गया। जिसमें 9वें नंबर पर श्योपुर किला(नरसिंह महल) भी शामिल है। इसी को आधार बनाकर अब पर्यटन विभाग श्योपुर कलेक्टर को पत्र लिखकर किले को हस्तांतरित किए जाने की मांग कर रहा है। इसके लिए गत वर्ष सितंबर में एक पत्र भेजा, उसके बाद अब फिर से पत्र लिखकर किला मांगा है। पर्यटन विभाग ने पत्र में लिखा है कि श्योपुर किला अच्छे हेरिटेज होटल में विकसित किया जा सकता है, लिहाजा गुरुभवन सहित किले को पर्यटन विभाग के पक्ष मे हस्तांतरित किया जाए। उल्लेखनीय है कि पर्यटन विभाग द्वारा अधिकांशतया स्मारकों को स्वयं न संचालित कर निजी लोगों को लीज पर दे देता है, ऐसे में श्योपुर किले के भी निजी हाथों में जाने की पूरी संभावना है।
पुरातत्व को भेजेंगे प्रस्ताव
पर्यटन विभाग द्वारा श्योपुर किले को हस्तांतरित किए जाने का पत्र आया है। चूंकि किला पुरातत्व विभाग का है, लिहाजा एक प्रस्ताव बनाकर पुरातत्व विभाग को भेजा जाएगा और उनसे इस पर राय ली जाएगी, उसके बाद ही आगे की कार्यवाही होगी।
बसंत कुर्रे
कलेक्टर, श्योपुर
एक नजर में श्योपुर किला
-50 बीघा के आसपास के क्षेत्र में फैला है श्योपुर किला
-11वीं शताब्दी में था श्योपुर किले का अस्तित्व
-1194 से 1219 ईसवीं तक नरेसर के राजा अजयपाल की राजधानी रहा किला
-1301 ईसवी में अलाउद्दीन खिलजी ने किले को जीता।
-1489 ईसवी में सुलतान महमूद खिलजी ने किले पर जीत हासिल की।
-1542 में शेरशाह सूरी ने किले पर अधिकार किया।
-1809 में ग्वालियर के शासक महाराज दौलतराव सिंधिया ने जीता
-225 वर्षांे तक किलो गौड़ राजाओं की राजधानी रहा।