विशेष बात यह है कि इस दौरान महज 8 ही स्थाई जिला शिक्षा अधिकारी जिले को मिले हैं, जबकि अन्य डीइओ प्रभारी ही रहे हैं। अब 28वीं बार बदले प्रभार में मुरैना से एडीपीसी पद से स्थानांतरित कर रविंद्र सिंह तोमर को प्रभारी डीइओ बनाया है। जिनके सामने विभाग की पुरानी चुनौतियां हैं। बार-बार विभाग मुखिया के बदलाव से विभागीय व्यवस्थाओं में भी स्थायित्व की कमी नजर आती है
अभी तक ये रहे स्थाई जिला शिक्षा अधिकारी
बीते 23 सालों में जिले में जो स्थाई जिला शिक्षा अधिकारी पदस्थ रहे हैं, उनमें जेपी शर्मा (30 जून 1999 से 31 जुलाई 2001), पीके ठक्कर(13 अगस्त 2001 से 5 अक्टूबर 2001), एसके गुप्ता (3 नवंबर 2001 से 21 जनवरी 2013), वीपी अहिरवार (8 सितंबर 2003 से 27 मार्च 2004), सियाराम प्रजापति(30 जून 2004 से 27 जुलाई 2005), एमपी शर्मा (27 जुलाई 2005 से 30 जून 2006), अरविंद सिंह (8 जून 2012 से 1 फरवरी 2014) और अजय कटियार (17 मई 2015 से 5 मार्च 2019) शामिल है।
अभी तक ये रहे प्रभारी जिला शिक्षा अधिकारी
अभी तक जिले में जो प्रभारी डीइओ रहे, उनमें परमजीत सिंह (1 अगस्त 2001 से 13 अगस्त 2001, 5 अक्टूबर 2001 से 3 नवंबर 2001 और 21 जनवरी 2003 से 19 फरवरी 2003), मोहर सिंह सिकरवार(19 फरवरी 2003 से 8 सितंबर 2003 और 20 मई 2004 से 29 जून 2004), इस्माइल कुर्रेशी (27 मार्च 2004 से 19 मई 2004), आरएल उपाध्याय (30 जून 2006 से 14 मार्च 2007), आरके उपाध्याय (14 मार्च 2007 से 4 अक्टूबर 2008), बीके त्रिपाठी (4 अक्टूबर 2008 से 31 अक्टूबर 2010), परमजीत सिंह (31 अक्टूबर 2010 से 5 मार्च 2011 और 10 मार्च 2012 से 31 मार्च 2012), अर्जुन सिंह रावत (5 मार्च 2011 से 10 मार्च 2012), हरिओम चतुर्वेदी (1 फरवरी 2014 से 17 मई 2015), वकील सिंह रावत (6 मार्च 2019 से 31 मार्च 2021), एसके सोलंकी (1 अप्रेल 2021 से 6 जुलाई 2021 और 12 जुलाई 2021 से 27 फरवरी 2022), राकेश शर्मा (28 फरवरी 2022 से 11 सितंबर 2022) और एमएल गर्ग (7 जुलाई 2021 से 12 जुलाई 2021 और 12 सितंबर 2022 से 12 नवंबर 2022) शामिल हैं।
70 फीसदी स्कूलों में स्थाई प्राचार्य नहीं
जहां एक ओर जिले में जिला शिक्षा अधिकारी का पद अधिकांश समय प्रभार में रहा है, वहीं हाईस्कूल और हायरसैकंडरी स्कूलों की स्थिति देखें तो पाएंगे कि 70 फीसदी स्कूलों में स्थाई प्राचार्य नहीं है। बताया गया है कि जिले में कुल 78 शासकीय हाइस्कूल और हायरसैकंडरी स्कूल संचालित हैं, जिनमें से लगभग आधा सैकड़ा स्कूल प्रभारी प्राचार्यों के भरोसे चल रहे हैं।