मध्यप्रदेश के मुख्य वन संरक्षक (वाइल्ड लाइफ) आलोक कुमार ने मीडिया को बताया कि दक्षिण अफ्रीका में लिप्त हो रहे वन्य जीवों के ट्रस्ट (इडब्ल्यूटी की ओर से 8 चीतों को देने का फैसला किया है। इनमें पाच नर चीता और तीन मादा दिए जा रहे हैं। इसके लिए केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय (Union ministry of environment) ने भी पुष्टि कर दी है।
यह भी पढ़ेंः अच्छी खबर: सतपुड़ा टाइगर रिजर्व और भेड़ाघाट यूनेस्को की सूची में शामिल
यह भी पढ़ेंः टाइगर स्टेट के बाद ‘लेपर्ड स्टेट’ भी बन सकता है मध्यप्रदेश
आलोक कुमार ने बताया कि भारत में कुऩो नेशनल पार्क (Kuno National Park) ऐसी जगह है जो चीतों के सबसे अच्छा आवास है। आलोक कुमार के मुताबिक उन्होंने सितंबर तक चीतों के लिए और अधिक उपयुक्त बनाने के लिए बाड़ लगाने समेत कुछ सुझाव भी दिए हैं।
श्योपुर के डिविजनल फारेस्ट अधिकारी (Divisional forest officer, Sheopur) पीके वर्मा के मुताबिक यहां चीतों के लिए यहां एक आदर्श घास का मैदान और शिकार का पर्याप्त आधार है। हमने उनके स्थानांतरण की तैयारियां शुरू भी कर दी है।
यह भी पढ़ेंः एक और थप्पड़ कांड: महिला अधिकारी ने दुकानदार को जड़ा थप्पड़, देखें VIDEO
सबसे अनुकूल है यह अभ्यारण
सुप्रीम कोर्ट की साधिकार समिति की उप समिति ने मध्य प्रदेश के साथ झारखंड और राजस्थान में भी चीता को बसाने की संभावनाएं तलाश कर रही थी, लेकिन मध्यप्रदेश का कूनो नेशनल पार्क सबसे अच्छी जगह पाई गई है। वैज्ञानिकों ने भी कूनो अभ्यारण की जलवायु और भौगोलिक स्थिति को चीतों के लिए सबसे अनुकूल बताया है।
यह भी पढ़ेंः शिवराज का पलटवार: मौत का उत्सव मना रही कांग्रेस, क्या कमलनाथ पर कार्रवाई करेंगी सोनिया गांधी?
73 साल बाद नजर आएंगे चीते
भारत में 73 साल पहले तक चीते हुआ करते थे। इतने सालों बाद फिर से चीतों की वापसी हो रही है। अब तक भारत से इन्हें लुप्तप्रायः मान लिया गया था। वर्ष 1947 में ली गई सरगुजा महाराज रामानुशरण सिंह के साथ चीते की तस्वीर को अंतिम मान लिया गया था। वर्ष 1952 में भारत सरकार ने चीते को विलुप्त जीव घोषित कर दिया गया था। गुजरात के गिर अभयारण्य से बब्बर शेर न मिलने पर भारत सरकार ने वर्ष 2010 में कूनो में चीता बसाने की योजना बनाई थी।