तेंदुआ स्टेट का भी मिल सकता है दर्जा
जिले के दांतरदा क्षेत्र के ग्राम ऊंचाखेड़ा और बिचपुरी के बीच चंबल नदी के घाट पर रविवार की सुबह एक तेंदुए का शव तैरता हुआ नजर आया। जिसके बाद ग्रामीणों ने दोपहर में वन विभाग को सूचना दी। सूचना पर सामान्य वनमंडल के रैंजर अजय वाजपेयी और उनकी टीम मौके पर पहुंची और शव को अपने कब्जे में लिया।
इस दौरान वनकर्मियों ने ग्रामीणों की मदद से काफी मशक्कत के बाद तेंदुए के शव को नदी से बाहर निकाला और फिर सड़क तक लाए। जिसके बाद तेंदुए को श्योपुर पशु अस्पताल में लाया गया, जहां सोमवार को उसका पीएम होगा।
श्योपुर के रैंज ऑफिसर अमित वाजपेयी ने बताया कि तेंदुए की मौत किन कारणों से हुई, ये तो पोस्टमार्टम के बाद ही पता चलेगा और सोमवार को पीएम कराया जाएगा। लेकिन संभावना है कि ये तेंदुआ चंबल नदी के उस पार राजस्थान की रणथंभौर सेंचुरी से आया होगा। क्योंकि चंबल नदी से श्योपुर से कूनो नेशनल पार्क दूर है, लिहाजा तेंदुए के यहां के होने की संभावना कम है। वहीं प्रथम दृष्टया 3-4 दिन पुराना शव लग रहा है।
जंगल में मिला शव दो पुराना होने की आशंका
दूसरे तेंदुए का शव बुढ़ेरा बीट क्षेत्र के जंगल में मिला। जिसकी सूचना पर सामान्य वनमंडल के एसडीओ डीएम पांडेय और उनकी टीम मौके पर पहुंची। एसडीओ पांडेय ने बताया कि शव दो दिन पुराना लग रहा है और क्षत विक्षत हो गया है, ऐसे में इसके अस्पताल ले जाना संभव नहीं है, जिसके चलते टीम को बुलाकर पोस्टमार्टम यहीं कराया जाएगा। सोमवार को पोस्टमार्टम होगा, जिसके बाद ही मौत के कारण पता चल पाएंगे।
2200 के आसपास हो सकती है संख्या
2014 की गणना के मुताबिक प्रदेश को तेंदुआ स्टेट का दर्जा मिला था। उस समय दूसरे स्थान पर कर्नाटक राज्य था। मध्य प्रदेश में 1817 तेंदुए पाए गए थे तो कर्नाटक में 1129 तेंदुए थे। वन विभाग का कहना है मध्य प्रदेश में तेंदुए बढ़कर 2200 हो सकते हैं। दूसरे नंबर पर कर्नाटक में कितने भी तेंदुए बढ़े होंगे उनकी तादाद मध्यप्रदेश से अधिक नहीं हो सकती। यही कारण है कि मध्यप्रदेश इसमें भी नंबर वन हो सकता है।
मध्यप्रदेश में 526 बाघ
मध्यप्रदेश 2006 में सर्वाधिक 300 बाघों के साथ टॉप पर था, लेकिन 2010 व 2014 की गणना में कर्नाटक और उत्तराखंड से पिछड़कर तीसरे पायदान पर पहुंच गया। मध्यप्रदेश को पिछले साल फिर 526 बाघों के साथ टाइगर स्टेट का दर्जा मिला हुआ है। हालांकि अब बाघों की मौत के बाद तेंदुओं की संख्या घटने लगी है। यदि ऐसा ही चलता रहा तो मध्यप्रदेश टाइगर स्टेट का दर्जा खो देगा।