शामली के लाल भी हुए थे शहीद आपको बता दें कि 14 फरवरी को पुलवामा में सीआरपीएफ काफिले पर हुए आतंकी हमले में शामली के लाल भी शहीद हो गए थे। इनमें से प्रदीप कुमार भी थे। इसके बाद प्रदेश सरकार ने शहीदों के परिवार को 25 लाख रुपये और परिवार के एक सदस्य को सरकारी नौकरी देने का वादा किया था। इसके लिए जिला प्रशासन की तरफ से शहीद के परिजनों से नौकरी के लिए एक सदस्य का नाम मांगा गया है।
बड़े बेटे ने किया मना शहीद प्रदीप कुमार के परिवार से उनके बड़े बेटे सिद्धार्थ से राय ली गई तो उन्होंने मना कर दिया। सिद्धार्थ इस समय कक्षा 12 में पढ़ रहे हैं। उनका कहना है कि उनकी रुचि कॉमर्स में थी। वह अपनी पढ़ाई जारी रखना चाहते हैं। वह चार्टर्ड अकाउंटेंट (सीए) बनना चाहते हैं। अगर वह नौकरी कर लेंगे तो उनके लिए सीए की तैयारी करना मुश्किल हो जाएगा। पापा भी यह बात जानते थे। इा वजह से उनको कॉमर्स दिलाई गई थी। पापा की इच्छा थी कि वह सीए बने। इंटर में अच्छे नंबर से पास होने के लिए उसने ट्यूशन लगाए। सिद्धार्थ ने कहा कि पापा जब भी फोन करते थे, तब पढ़ाई के बारे में पूछते थे। पापा तो शहीद हो गए, लेकिन वह उनका सपना पूरा करेगा।
परिवार करता है भावनाओं की कद्र वहीं, सिद्धार्थ के चाचा उमेश का कहना है कि परिवार उसकी भावनाओं की कद्र करता है। वह सीए बनकर अपने पापा का सपना पूरा करना चाहता है। अब उसके मना करने के बाद शहीद प्रदीप की पत्नी शर्मिष्ठा का नाम प्रशासन को दिया गया है।
छोटा बेटा जाना चाहता है फौज में आपको बता दें कि शहीद प्रदीप की पत्नी और दोनों बेटे सिद्धार्थ व विजयंत गाजियाबाद के गोविंदपुरम में रहते हैं। प्रदप की पत्नी शर्मिष्ठा इंटर तक पढ़ी है जबकि बड़ा बेटा सिद्धार्थ इंटरमीडिएट में पढ़ रहा है। वहीं छोटा बेटा विजयंत केंद्रीय विद्यालय नेहरू नगर में कक्षा 9 में पढ़ रहा है। वहीं, शहीद का छोटा बेटा विजयंत का कहना है कि वह फौज में जाना चाहता है, ताकि पापा का बदला ले सके। पापा भी उसको सपोर्ट करते थे।