शाहजहांपुर। आज से लगभग नौ दशक पहले 19 दिसंबर 1927 को काकोरी कांड के तीन महानायकों पंडित रामप्रसाद बिस्मिल, अशफाक उल्ला खां, ठाकुर रोशन सिंह को अलग-अलग जेलों में फांसी के फंदे पर लटका दिया गया था। आजादी के तीनों लड़ाके हंसते-हंसते फांसी के फंदे पर झूल गए थे, लेकिन आज इन अमर सपूतों से जुड़ी विरासत बेहद ही बदहाल है। तमाम सरकारें आयीं, लेकिन किसी ने भी इन अमर सपूतों की विरासत को बचाने की जरूरत नहीं समझी।
शहीद पंडित रामप्रसाद बिस्मिल का घर मकान पर दबंगों ने किया कब्जा पंडित रामप्रसाद बिस्मिल के घर पर तो दबंगों ने कब्जा कर रखा है। बताते हैं कि गरीबी का फायदा उठाकर दंबगों ने बिस्मिल के परिजनों से औने पौने दामों में उनका मकान हथिया लिया था। इसके खिलाफ कई बार सामाजिक संगठनों ने आवाज उठाई। सरकारें आती रहीं जाती रहीं किसी ने इस तरफ कोई ध्यान नहीं दिया। हालांकि इस घर में रहने वाले लोगों का कहना है कि उसके पूर्वजों ने पंडित जी के परिजनों से ये घर खरीदा था। उन लोगों ने घर में आज तक कोइ भी तोड़फोड़ नहीं करवायी है। जो बिस्मिल और उनकी मां के वक्त में जैसा बना हुआ था। आज भी वो निर्माण ज्यों का त्यों है।
इसी स्कूल में पढ़े थे बिस्मिल और अशफाक जर्जर हालत में है एबीरिच इंटर कॉलेज शहर के जिस एबीरिच इंटर कॉलेज में पंडित रामप्रसाद बिस्मिल और अशफाक उल्ला खां पढ़ते थे। वो स्कूल अब बेहद ही जर्जर हालत में है। कॉलेज के प्रिंसिपल मिहिर फ़्लिप्स की मानें तो इस स्कूल को बने हुए 100 साल से भी ज्यादा वक्त बीत चुका है। पिछले 50 सालों से किसी भी सरकार ने इस स्कूल की मरम्मत को कोई भी पैसा नहीं दिया है।
शहीद अशफाक उल्ला खां का मकबरा मकबरा पर जुआरियों व सटोरियों का कब्जा वहीं अशफाक उल्ला खां का मकबरा तो अब जुआरियों और सटोरियों का अड्डा बन चुका है। जोकि एक बेहद ही खंडहर नुमा होने के साथ ही बदहाल स्थिति में है। इतना ही नहीं ठाकुर रोशन सिंह के गांव जाने का तो रास्ता बेहद ही जर्जर हालात में है। किसी भी राष्ट्रीय त्योहार पर अमर शहीद ठाकुर रोशन सिंह के पैतृक गांव में कोई भी अधिकारी या नेता जाने की जहमत तक नहीं उठाता है।
शहीद ठाकुर रोशन सिंह का घर वीर सपूतों को एक ही दिन दी गई थी फांसी शाहजहांपुर की जमीं पर जन्मे पंडित रामप्रसाद बिस्मिल, अशफाक उल्ला खां और ठाकुर रोशन सिंह ने ब्रिटिश हुकूमत से भारत माता को आज़ाद करने के लिए लड़ाई लड़ी। इन वीर सपूतों ने सरकारी खजाने को लूटने का मन बनाया। नौ अगस्त 1925 को लखनऊ से पहले काकोरी पर ट्रेन में अंगेजों के सरकारी खजाने को इन तीनों लूट लिया था। यह घटना इतिहास में काकोरी कांड नाम से दर्ज है। इस कांड के आरोप में शाहजहांपुर के इन तीनों सपूतों को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया। 19 दिसंबर 1927 को पंडित रामप्रसाद बिस्मिल को गोरखपुर, अशफाक उल्ला खान को फ़ैज़ाबाद जेल और ठाकुर रोशन सिंह को इलाहाबाद जेल में ब्रिटिश हुकूमत ने फांसी पर लटका दिया।