रेलवे स्टेशन में मरीजों को परिजनों के कंधों का सहारा
प्लेटफार्म नंबर एक में मरीज को लाने के लिए करनी पड़ती है मशक्कत
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![The support of the shoulders of the families in the railway station](/_next/image?url=https%3A%2F%2Fcms.patrika.com%2Fwp-content%2Fuploads%2F2018%2F09%2F13%2F12sdl01-13.jpg%3Ffit%3Dcover%2Cgravity%3Dauto%2Cquality%3D75&w=828&q=75)
The support of the shoulders of the families in the railway station
शहडोल. रेलवे स्टेशन के प्लेटफार्म नम्बर दो व तीन से एक में आने के लिए मरीजों को सबसे ज्यादा परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है, इसके बाद भी रेल प्रशासन द्वारा रैम्प का निर्माण कराने में लापरवाही बरती जा रही है। हालात इतने ज्यादा गंभीर हो चुके हैं कि रेलवेे स्टेशन में मरीजों प्लेटफार्म नम्बर दो व तीन में लाने व ले जाने में कभी भी बड़ा हादसा हो सकता है। बुधवार को नागपुर से ईलाज कराकर गोंदिया-बरौनी ट्रेन से वापस लौटी महिला पार्वती गुप्ता को तीन नम्बर प्लेटफार्म से लाने के लिए परिजन काफी परेशान हुए। उन्हे न तो व्हील चेयर मिल सकी और न ही स्टेचर उपलब्ध कराया गया। इंक्वायरी में बताया गया कि व्हीलचेयर व स्टेचर पैनल केबिन में है, मगर वहां जाने के बाद भी परिजनों कोई नहीं मिला। नतीजतन परिजनों ने विवश होकर महिला को कंधे का सहारा देकर फुट ओवर ब्रिज से लाया। सवाल यह उठता है कि इस दौरान मरीज के साथ यदि कोई गंभीर बात हो जाती, तो इसके लिए कौन जिम्मेदार होता?रेलवे के जानकारों ने बताया कि स्टेशन में रैम्प के निर्माण के लिए राशि स्वीकृत हो चुकी है, मगर निर्माण कार्य में बिलम्ब क्यों किया जा रहा है? यह समझ से परे है।
पुलिस के जवानों ने बचाई रेल यात्री की जान
चलती ट्रेन में चढऩे से पटरियों पर आ गया था वृद्ध
शहडोल. रेलवे स्टेशन में बुधवार को दोपहर डेढ़ बजे आरपीएफ व जीआरपी के जवानों ने तत्परता से एक वृद्ध रेलयात्री की जान बचा ली। वृद्ध रेलयात्री पानी लेने के लिए शहडोल रेलवे स्टेशन में गोंदिया-बरौनी टे्रन के स्लीपर कोच से उतरा था और जब ट्रेन चलने लगी तब उसने ट्रेन में चढऩे का प्रयास किया, मगर वह ट्रेन के नीचे आ गया। वहीं आरपीएफ के जवान एसएस तिवारी व जीआरपी के पद्माकर सिंह व आरके चौरसिया खड़े थे, उन्होने तत्काल गार्ड से ट्रेन रोकने को कहा और स्पीड पकडऩे के पहले ही ट्रेन रुक गई। इस दौरान वृद्ध रेल यात्री के हाथ व सिर में चोंट आई, मगर उसकी जान बच गई। इसके बाद ट्रेन गंतव्य को रवाना हुई।
सात घंटे देरी से आई सारनाथ व गोंदिया-बरौनी ट्रेन
शहडोल. संभागीय मुख्यालय में बुधवार को जहां एक ओर गोंदिया-बरौनी टे्रन सात घंटे देरी से आई, वहीं दूसरी ओर रीवा-बिलासपुर कपिलधारा ट्रेन अपने निर्धारित समय सुबह एक बजे के स्थान पर डेढ़ घंटे देरी से सुबह २.३० बजे आई। टे्रनों के काफी बिलम्ब से आने की वजह से यात्रियों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ा। गोंदिया-बरौनी सात घंटे देरी से दोपहर डेढ़ बजे शहडोल आई। इसी तरह छपरा-दुर्ग सारनाथ एक्सपे्रस सात घंटे देरी से सुबह ६.३० बजे शहडोल आई।
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