परिजनों का कहना था कि बाणसागर परियोजना अस्पताल से ले जाते वक्त एंबुलेंस नहीं दी थी। बाद में ब्यौहारी अस्पताल ले जा रहे थे तब भी एंबुलेंस नहीं मिली थी। फोन भी नहीं था, न कोई मदद कर रहा था। महिला की हालत बिगड़ती जा रही थी। बाद में ठेला से ही अस्पताल ले जाने का निर्णय लिया। महिला को हाथ ठेला से ले जाते का मामला तूल पकड़ते ही अधिकारियों ने आनन-फानन वृद्ध महिला को रवाना करा दिया। ब्यौहारी अस्पताल प्रबंधन का कहना था कि वृद्ध महिला को शहडोल अस्पताल के लिए रेफर किया है, लेकिन महिला शहडोल अस्पताल में मौजूद ही नहीं मिली।
मामले में बाणसागर परियोजना अस्पताल और सरकारी अस्पताल देवलोंद के डॉक्टरों की लापरवाही सामने आई है। सीएमएचओ डॉ एमएस सागर के अनुसार, प्रथम दृष्टया लापरवाही मिलने पर दोनों अस्पताल के डॉक्टरों को नोटिस जारी कराया जा रहा है। जवाब मांगा जाएगा। इसके अलावा बाणसागर परियोजना अस्पताल प्रबंधन को भी पत्राचार किया है। जिसमें जानकारी मांगी है कि परियोजना अस्पताल में किन संसाधनों की कमी है। यहां पर एंबुलेंस और दवाइयों की उपलब्धता के लिए भी आदेश दिए हैं।
जिले में भारी भरकम डीएमएफ का बजट आता है। इसके अलावा उद्योग सीएसआर के माध्यम से खर्च कर रहे हैं। हाल ही में डीएमएफ की फाइल आगे बढ़ाते हुए साढ़े तीन करोड़ रुपए लचर स्वास्थ्य सुविधाओं को बेहतर करने के नाम पर स्वीकृत कराया था। अधिकारियों की मानें तो 1 करोड़ की राशि स्वीकृत भी हो गई थी। दो करोड़ स्वास्थ्य सेवाओं के इन्फ्रा पर खर्च करने थे। रेकार्ड में 13 एंबुलेंस हैं। इसके अलावा विधायकों ने अपने-अपने मद से भी एंबुलेंस स्वीकृत कराए थे। दो शव वाहन भी हैं लेकिन न तो समय पर मरीजों को एंबुलेंस मिल रही है और न ही शव ले जाने के लिए वाहन मिल रहा है। अक्सर कभी ऑटो तो कभी निजी एंबुलेंस करके आदिवासी परिवार शव ले जाते हैं। एंबुलेंस भी समय पर नहीं मिलती है।
डॉ एमएस सागर, सीएमएचओ शहडोल