कांग्रेस के मध्य प्रदेश (MP) प्रभारी महासचिव जितेंद्र सिंह का कहना है कि ‘चुनाव की तारीखों की घोषणा और आचार संहिता (Code of Conduct) के बाद राहुल गांधी का एमपी में यह पहला दौरा है। वे 8 अप्रेल सोमवार को मंडला सीट के अंतर्गत सेवनी इलाके और शहडोल में दो अलग-अलग रैलियों को संबोधित करेंगे। जितेंद्र ने दावा किया कि ‘कांग्रेस निश्चित रूप से राज्य में अपनी स्थिति में सुधार करेगी और परिणाम भाजपा के लिए एकतरफा नहीं होंगे।’
– राहुल गांधी सुबह 11:00 बजे भोपाल पहुंचेंगे।
– इसके बाद गांधी हेलीकॉप्टर से सिवनी के लिए रवाना होंगे।
– दोपहर 12:40 बजे धनौरा जाएंगे।
– इस दौरान राहुल गांधी विशाल जनसभा को संबोधित करेंगे।
– दोपहर 2:00 बजे धनौरा से शहडोल के लिए रवाना होंगे
– यहां राहुल गांधी दोपहर 3:15 बजे शहडोल पहुंचेंगे।
– यहां स्थानीय कार्यक्रमों में शामिल होने के बाद शाम 5:00 बजे जबलपुर के लिए रवाना हो जाएंगे।
लोक सभा चुनावों को लेकर कांग्रेस का पूरा फोकस आदिवासी वोटों पर है। आदिवासी मतदाताओं को साधने का ये काम वह विधानसभा चुनाव से कर रही है। यही कारण है कि राहुल गांधी ने चुनावी प्रचार की शुरूआत के लिए महाकौशल क्षेत्र चुना, जहां आदिवासियों की संख्या अच्छी खासी है।
जन सभाओं के माध्यम से राहुल गांधी आदिवासी सीटों पर अपना दावा मजबूत करने की कोशिश करेंगे। राहुल गांधी की जनसभा से इन आदिवासी लोकसभा सीटों पर कांग्रेसियों को बड़ी उम्मीद है। वहीं एमपी में कांग्रेस के पास 29 लोकसभा सीट में से केवल एक छिंदवाड़ा की ही सीट है।
आंकड़ों के मुताबिक 1990 के दशक के बाद हुए अधिकांश लोस चुनावों में मप्र के कांग्रेस का प्रदर्शन निराशाजनक रहा। हालांकि 2009 का चुनाव उसके लिए कुछ राहत लेकर आया। जब उसने 29 में 12 सीटों पर फतह हासिल की। जबकि भाजपा को 16 सीटें मिलीं। इन 12 सीटों में से चार आदिवासी क्षेत्रों में थी। 2009 में जीतने वाले कांग्रेस के दिग्गज नेताआं में कमलनाथ, ज्योतिरादित्य सिंधिया और अरुण यादव शामिल थे। इसी से अंदाजा लगा सकते हैं कि आदिवासी सीटों पर ही कांग्रेस ने इस बार इतना फोकस क्यों किया है।
नवंबर 2023 में एमपी में हुए विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के खाते में 22 आदिवासी सीटें आईं, जबकि उसे कुल 229 में 66 सीटें ही प्राप्त हो सकीं। वहीं भाजपा ने 24 सीटों में आदिवासी आरक्षित सीटों में जीत हासिल की थी। जबकि कांग्रेस को 2018 के विधानसभा चुनाव में 30 आदिवासी सीटों में जीत मिली थीं। 2023 के विधानसभा चुनाव में प्रदेश की टोटल 47 अनुसूचित जनजाति वाली सीटों में से 24 सीट भाजपा ने जीती। भारत आदिवासी पार्टी को भी एक सीट पर जीत मिली है। ऐसे में कांग्रेस को इस विधानसभा चुनाव के रिजल्ट से भी एक आस जगी है कि आदिवासी सीटों के माध्यम से एक बार फिर से कांग्रेस लोकसभा के इस रण में एमपी में सेंध लगा सकती है।
बैतूल के आदिवासी आरक्षित लोकसभा सीट में कांग्रेस की हालत कुछ खस नहीं है। यहां 1996 के लोकसभा चुनाव के बाद से कांग्रेस तो कभी जीत ही नहीं पाई। रतलाम लोकसभा सीट में आखिरी बार 2009 में कांग्रेस के कांतिलाल भूरिया को जीत मिली थी और वे सांसद बने थे, जबकि 2014 से एक बार फिर से भाजपा का यहां कब्जा है। खरगोन लोकसभा सीट में भी कांग्रेस की कुछ ऐसे ही हालत है। साल 2004 से लगातार यहां भाजपा चुनाव जीत रही है। कांग्रेस जीत नहीं पा रही है। धार लोकसभा की बात करें तो 2009 में कांग्रेस को जीत मिली थी, लेकिन 2014 से एक बार फिर से यहां भाजपा का कब्जा है।
बता दें कि खजुराहो सीट पर सपा की उम्मीदवार पूर्व विधायक मीरा यादव का नामांकन पत्र निरस्त कर दिया गया है। इसपर इंडिया गठबंधन के कांग्रेस और सपा नेता बवाल मचा रहे हैं। इधर खजुराहो के ही एक प्रत्याशी राजाभैया प्रजापति ने बीजेपी पर नामांकन पत्र वापस लेने का दबाव डालने का आरोप लगाया है। इन घटनाओं के चलते विपक्षी दलों को नाम वापसी के अंतिम दिन सोमवार को कोई और गड़बड़ी होने का डर सता रहा है। इधर बीजेपी ने इन आरोपों को खारिज करते हुए कहा है कि कांग्रेस हार की आशंका से उल्टे सीधे आरोप लगा रही है।
बता दें कि कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी 15 अप्रेल को सतना लोकसभा क्षेत्र में चुनाव प्रचार करेंगी। प्रदेश में प्रत्याशियों की ओर से सबसे ज्यादा मांग राहुल और प्रियंका की सभाओं की है।
ये भी पढ़ें : Lok Sabha Elections: रोड शो में हाथ में ‘कमल’ लिए चले पीएम मोदी, सिर झुकाकर खामोशी से मांगे वोट