शुभम सिंह बघेलLeopard Pain : लेपर्ड स्टेट के नाम से पहचान रखने वाले मध्य प्रदेश में तेंदुओं के हमले लगातार बढ़ते जा रहे हैं। खासकर सूबे के शहडोल जिले के अंतर्गत आने वाले जैतपुर, गोहपारू और खेतौली जंगल में तेंदुए के लगातार हमलों ने ग्रामीणों में भय और असुरक्षा पैदा कर दी है। हाल ही में शहर के निकट खेतौली जंगल में पार्टी मनाने गए लोगों पर तेंदुए ने हमला कर दिया था। 9 लोगों को घायल करने वाले तेंदुए को वन विभाग अब तक नहीं तलाश पाया।
इधर, तेंदुए के रेस्क्यू के लिए भी बात चल रही है। लगातार वन्यजीव अपने प्राकृतिक आवास से बाहर आने को मजबूर हो रहे हैं। शहडोल सर्किल में पिछले 5 साल में बाघ, हाथी और तेंदुए के साथ मानव द्वंद्व की स्थिति बनी है। इस घटना के बाद, पत्रिका ने जंगल में लगातार बढ़ रहे मानवीय दखल से खफा तेंदुए से प्रतीकात्मक साक्षात्कार किया, ताकि जंगल में इंसानी दखल के बारे में उसकी सोच और चिंताओं को समझा जा सके।
तेंदुआ कहता है, मैं हमेशा से इस जंगल में रहा हूं। यह मेरा घर था, मेरा साम्राज्य था। यहां मैं शांति से रहता था, अपने शिकार करता था। लेकिन अब इंसानों ने मेरा घर छीन लिया है। वे दिन-रात पार्टी करते हैं, शोर मचाते हैं और मुझे डराते हैं। जंगल में घर बन रहे हैं, लोगों का दखल बढ़ रहा है। मैं अपने जंगल का रक्षक हूं। मेरे साथियों का करंट लगाकर शिकार करते हैं, तो यह मेरे लिए असहनीय होता है। यह सब कुछ मुझे मजबूर करता है कि मैं अपने क्षेत्र की रक्षा करूं।
हमले का कारण क्या है? जंगल से क्यों निकले? क्या इंसानों से डरते नहीं हैं?”
मैं जंगल से कब बाहर निकला, अपनी हद में था। मैं इंसानों से नहीं डरता, बल्कि उन्हें देखकर मैं खुद को बचाने के लिए मजबूर होता हूं। जब लोग मेरे आस-पास आते हैं, तो मैं उनकी आहट सुनकर भाग जाता हूं। खेतौली में भी मैं भय से चला जा रहा था। वीडियो में दिख रहा होगा कि कैसे मुझे छेड़ा जा रहा है, बुलाया जा रहा है। जब लोग मुझे घेर लेते हैं या खतरा महसूस होता है, तब मैं बचाव करता हूं। कभी किसी इंसान को बिना वजह नहीं नुकसान पहुंचाया है।
क्या आपको लगता है कि जंगल में इंसानी दखल बढ़ रहा है?
बिल्कुल! पहले यह जंगल था, अब तो घर, सडक़े और क्रशर व रेत खनन की अनुमति मिल गई है। लोग दिन-ब-दिन और अधिक घुसपैठ कर रहे हैं। मैं कई बार रास्ता बदलने को मजबूर हो गया हूं। सर्दियों में जब मौसम सुहावना होता है तो मैं अक्सर अपने क्षेत्र में घूमता रहता हूं। लेकिन अब इंसानों ने मेरे रास्ते रोक दिए हैं। हर जगह सडक़े बन गई हैं, घर बन गए हैं। मैं कहां जाऊं? मुझे कहां शरण लूं?
वन्यजीवों का शिकार हो रहा, ट्रेनों में कट रहे, आप क्या सोचते हो?
गोहपारू के लफदा में तो इंसानों ने मेरे भाई बाघ का शिकार कर डाला था। बाद में दूसरे बीट में शव फेंक दिया। घुनघुटी क्षेत्र में भी कई बार करंट लगाकर शिकार कर चुके हैं। जंगल के बीच से रेलवे लाइन होने की वजह से मेरे कई बार घुनघुटी व बांधवगढ़ के बीच कटकर मर चुके हैं। ये सब बहुत गलत है। हम जानवर हैं, लेकिन हम भी इस धरती पर जीने का अधिकार रखते हैं।
आपका कहना है कि जंगल सिकुड़ रहा है? क्या इससे वन्यजीवों को नुकसान हो रहा है?
हां, जब जंगल सिकुड़ता है तो शिकार और मूवमेंट का क्षेत्र भी कम होता है। इसके अलावा, लोग जंगल में शोर मचाते हैं, वीडियो बनाते हैं। ये हमारे लिए चुनौती बन जाता है। हम सिर्फ अपनी जान बचा रहे हैं।
सुना है, वन विभाग ट्रैप कैमरा लगा रहा है, रेस्क्यू की तैयारी कर रहा है?
हां। अफसरा कैमरा ट्रैप लगा रहे हैं, गतिविधियों पर नजर रखेंगे। सुना है, विभाग के एसडीओ ने बांधवगढ़ के अधिकारियों से रेस्क्यू की भी बात कही है। अगर रेस्क्यू करते हैं तो मुझे परिवार से भी अलग कर देंगे।
मैं चाहता हूं कि लोग जंगल का सम्मान करें। अगर आप हमारे क्षेत्र में बिना वजह नहीं आएंगे तो हम भी आपको क्यों नुकसान पहुंचाएंगे? अगर इंसान परेशान नहीं करेंगे, तो हम सुरक्षित रहेंगे। स्वभाविक सी बात है, हमें जिससे असुरक्षा नहीं हम उन्हें नुकसान क्यों पहुंचाएंगे?
Hindi News / Shahdol / तेंदुए का दर्द: इंसानों ने छीनी मेरी जमीन, जंगल में शिकार और पार्टी कर रहे, मैं खुद जान बचाने मजबूर हो जाता हूं