क्या कहा शरद कोल ने
शरद कोल ने कहा- मैंने भाजपा नहीं छोड़ी है मैं अभी भी भाजपा का सदस्य हूं। उन्होंने कहा कि मेरी गिनती आज भी भाजपा सदस्यों के रूप में होती है। अपने विधानसभा क्षेत्र के विकास के लिए मैं कमल नाथ सरकार के साथ हूं। इसके साथ ही उन्होंने ये भी कहा कि दिसंबर में होने वाले विधानसभा सत्र में जल्द खुलासा हो जाएगा कि मैं किस पार्टी के साथ हूं। इसके साथ ही उन्होंने दिसंबर महीने में होने वाले विधानसभा सत्र में कई बड़े खुलासे होंगे।
शरद कोल ने कहा- मैंने भाजपा नहीं छोड़ी है मैं अभी भी भाजपा का सदस्य हूं। उन्होंने कहा कि मेरी गिनती आज भी भाजपा सदस्यों के रूप में होती है। अपने विधानसभा क्षेत्र के विकास के लिए मैं कमल नाथ सरकार के साथ हूं। इसके साथ ही उन्होंने ये भी कहा कि दिसंबर में होने वाले विधानसभा सत्र में जल्द खुलासा हो जाएगा कि मैं किस पार्टी के साथ हूं। इसके साथ ही उन्होंने दिसंबर महीने में होने वाले विधानसभा सत्र में कई बड़े खुलासे होंगे।
कमलनाथ सरकार के खिलाफ नहीं किया विरोध
सोमवार ( 4 नवंबर ) को भाजपा ने कमल नाथ सरकार के खिलाफ हर विधानसभा में जन आक्रोश रैली निकाली थी। इस दौरान शरद कोल ने ब्यौहारी विधानसभा सीट में शरद कोल ने कांग्रेस सरकार के खिलाफ कोई विरोध प्रदर्शन नहीं किया था।
सोमवार ( 4 नवंबर ) को भाजपा ने कमल नाथ सरकार के खिलाफ हर विधानसभा में जन आक्रोश रैली निकाली थी। इस दौरान शरद कोल ने ब्यौहारी विधानसभा सीट में शरद कोल ने कांग्रेस सरकार के खिलाफ कोई विरोध प्रदर्शन नहीं किया था।
13 दिन में तीसरा झटका
बीते 13 दिनों में भाजपा को ये तीसरा बड़ा झटका है। 24 अक्टूबर को भाजपा की झाबुआ उपटुनाव में हार हुई थी। वहीं, 2 नवंबर को पन्ना जिले के पवई विधानसभा से विधायक प्रहलाद सिंह लोधी की विधानसभा सदस्यता को रद्द कर दिया गया था। उसके बाद अब शरद कोल का कांग्रेस सरकार के समर्थन की बात से भाजपा की मुश्किलें बढ़ गई हैं।
बीते 13 दिनों में भाजपा को ये तीसरा बड़ा झटका है। 24 अक्टूबर को भाजपा की झाबुआ उपटुनाव में हार हुई थी। वहीं, 2 नवंबर को पन्ना जिले के पवई विधानसभा से विधायक प्रहलाद सिंह लोधी की विधानसभा सदस्यता को रद्द कर दिया गया था। उसके बाद अब शरद कोल का कांग्रेस सरकार के समर्थन की बात से भाजपा की मुश्किलें बढ़ गई हैं।
विधानसभा सत्र में की थी बगावत
बता दें कि मध्यप्रदेश में कांग्रेस की सरकार गिराने का दावा करने वाली भाजपा का दांव उस वक्त उल्टा पड़ गया था। जब भाजपा के दो विधायकों ने सदन में दंड विधि (संशोधन) विधायक पर सरकार के पक्ष में वोटिंग की थी। भाजपा के दो विधायकों के कांग्रेस के पक्ष में वोटिंग करने से कमल नाथ सरकार मजबूत हुई थी। भाजपा के नारायण त्रिपाठी और शरद कोल ने सरकार के समर्थन में वोटिंग की थी।
बगावत के बाद बदला था सुर
विधायक शरद कोल ने अपना सुर बदल लिया था। शरद कोल ने कहा था- मैं आज भी भारतीय जनता पार्टी का विधायक हूं। उन्होंने कहा कि अपने क्षेत्र के विकास के लिए हमें जिसके पास जाना पड़ेगा जाएंगे इसका मतलब ये नहीं है कि हमने अपना घर छोड़ दिया है। मैं भाजपा का विधायक हूं और भाजपा के ही साथ हूं।
विधायक शरद कोल ने अपना सुर बदल लिया था। शरद कोल ने कहा था- मैं आज भी भारतीय जनता पार्टी का विधायक हूं। उन्होंने कहा कि अपने क्षेत्र के विकास के लिए हमें जिसके पास जाना पड़ेगा जाएंगे इसका मतलब ये नहीं है कि हमने अपना घर छोड़ दिया है। मैं भाजपा का विधायक हूं और भाजपा के ही साथ हूं।
टिकट नहीं मिलने से छोड़ी थी कांग्रेस
पिछले साल हुए विधानसभा चुनाव के दौरान ब्यौहारी सीट से कांग्रेस की टिकट मांगी थी, लेकिन उन्हें कांग्रेस ने टिकट नहीं दिया। इसलिए विधानसभा चुनाव से ठीक 10 दिन पहले वह कांग्रेस छोड़ भाजपा में शामिल हो गये और ब्यौहारी सीट से बीजेपी ने उन्हें अपना प्रत्याशी बना दिया। वह चुनाव जीत कर विधायक बन गये। ब्यौहारी आदिवासी बहुत इलाका है, परिसीमन के बाद ये सीट अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित है।
पिछले साल हुए विधानसभा चुनाव के दौरान ब्यौहारी सीट से कांग्रेस की टिकट मांगी थी, लेकिन उन्हें कांग्रेस ने टिकट नहीं दिया। इसलिए विधानसभा चुनाव से ठीक 10 दिन पहले वह कांग्रेस छोड़ भाजपा में शामिल हो गये और ब्यौहारी सीट से बीजेपी ने उन्हें अपना प्रत्याशी बना दिया। वह चुनाव जीत कर विधायक बन गये। ब्यौहारी आदिवासी बहुत इलाका है, परिसीमन के बाद ये सीट अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित है।
क्या दबबदल कानून लागू होगा?
अगर शरद कोल पर दल-बदल कानून लागू होता है तो विधायकों की सदस्यता जा सकती है। हालांकि दल बदूल कानून लागू करने का अंतिम फैसला विधायनसभा के अध्यक्ष को लेना है।