मध्यप्रदेश टूरिज्म बोर्ड की ओर से जिले में स्थित पेंच टाइगर रिजर्व में पर्यटन को बढ़ाने के लिए तीन दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया, जो एमपीटी किपलिंग्स कोर्ट में हुई। इस कार्यशाला में पेंच टाइगर रिजर्व सहित पेंच पार्क में पर्यटकों को और अधिक व सुविधाजनक, रोमांचक यात्रा देने पर मंथन किया गया। कार्यशाला में देश-प्रदेश से आए एडवेंचर ऑपरेटर्स को मध्यप्रदेश टूरिज्म बोर्ड की एडवेंचर पॉलिसी से बोर्ड के ज्वाइंट डायरेक्टर एसके श्रीवास्तव ने अवगत करवाया। उन्होंने पेंच टाइगर रिजर्व प्रबंधन से आग्रह किया कि पार्क में सालभर पर्यटन गतिविधियां होती रहें, जिससे पर्यटकों की संख्या बढ़ेगी। श्रीवास्तव ने सुझाव दिया कि मैराथन दौड़, विलेज वॉक को नियमित किया जा सकता है।
उन्होंने कहा कि मध्यप्रदेश टूरिज्म बोर्ड का फोकस रिस्पांसिबल टूरिज्म पर है। हमारा प्रयास है कि ऐसे पर्यटन को बढ़ावा दिया जाए, जिसमें पर्यावरण को कम से कम नुकसान पहुंचे। साथ ही ग्रामीणों को रोजगार मिले।
डिप्टी डायरेक्टर सिंह ने कहा कि एक समय यहां 20 से भी कम टाइगर रह गए थे, जो सामूहिक प्रयासों से अब 130 से भी ज्यादा है। उन्होंने एडवेंचर ऑपरेटर्स को नेशनल पार्क के कोर-बफर और सेंसटिव जोन के बारे में विस्तार से जानकारी दी। पर्यटन बढ़ाने की दिशा में किए जा रहे प्रयासों के बारे में भी बताया। कार्यशाला में पेंच में सामुदायिक सहभागिता और इको टूरिज्म विकसित करने। मध्यप्रदेश टूरिज्म बोर्ड की योजनाओं, आगामी कार्यक्रम एवं मध्यप्रदेश टूरिज्म बोर्ड से मिलने वाली सहायता से अवगत कराने जैसे बिंदुओं पर विषय-विशेषज्ञों से चर्चा की गई। फील्ड डॉयरेक्टर जयदेव प्रसाद, ज्वाइंट डॉयरेक्टर टूरिज्म बोर्ड डॉ. एसके श्रीवास्तव, सदस्य एडवेंचर बोर्ड प्रदीप मूर्ति, इंडिया हिल्स की प्रमुख इज्जत याकानागी आदि उपस्थित रहे।
पेंच टाइगर रिजर्व के अधिकारी व कर्मचारी बीते कुछ वर्ष पूर्व सरकारी वाहन से लकड़ी चोरी करते हुए पकड़े जा चुके हैं। उस समय यह मामला सुर्खियों में छाया रहा। तत्कालीन डिप्टी डॉयरेक्टर केके गुरवानी ने इस मामले में कार्रवाई करते हुए संबंधित आरोपियों को निलंबित किया था। उनके खिलाफ विभागीय जांच बैठाई थी। विभागीय जांच कहां तक पहुंची इसकी जानकारी आज तक नहीं हो पाई। पेंच टाइगर रिजर्व के एक वनरक्षक को लोकायुक्त ने रिश्वत लेते हुए पकड़ा था। उस पर चोरी की लकड़ी पकडऩे के बाद प्रकरण नहीं बनाने के लिए 3500 रुपए रिश्वत मांगने का आरोप था। दो हजार रुपए की रिश्वत लेते हुए लोकायुक्त ने उसे दबोचा था। लोकायुक्त की कार्रवाई के एक वर्ष पूर्व लकड़ी चोरी का मामला सामने आया था।