शहर की चतुर्थ सीमा की बात की जाए तो हाउसिंग बोर्ड कॉलोनी से आगे सिर्फ खेत नजर आते थे, अब यह अच्छे खासे आबादी क्षेत्र के रूप में विकसित हो गया है। कई बड़े स्कूल, कॉलेज और यूनिवर्सिटी इसी क्षेत्र में हैं।
साल 2011 की जनगणना के हिसाब से शहर की आबादी करीब एक लाख 10 हजार थी, लेकिन अब यह आबादी दो लाख के ऊपर हो गई है। शहर की आबादी तेजी से बढऩे का मुख्य कारण गांव के किसानों को रूख शहर की तरफ होना है। अच्छी शिक्षा और स्वास्थ्य को लेकर किसान गांव से शहर की तरफ रूख कर रहे हैं। कुछ ने तो गांव और शहर दोनों जगह मकान बना रखे हैं। गांव के शहर से एक बड़ी आबादी के शहर में शिफ्ट होने या किराए से रहने को लेकर शहर की आबादी में तेजी से इजाफा हो रहा है।
शहर की आबादी तो तेजी से बढ़ रही है, लेकिन नगर पालिका के पास संसाधन पहले के बराबर ही है। नगर पालिका के पास पर्याप्त संसाधन नहीं होने को लेकर शहरवासियों को सुविधाएं नहीं मिल पा रही है। बताया जा रहा है कि संसाधन के अभाव के चलते ही नगर पालिका परिसीमन में शहर का दायरा बढ़ाने से हाथ पीछे खींच रही है। पहले तो यह उम्मीद की जा रही थी कि थूना-पचामा, मुगीसपुर, शेरपुर और बिजौरी नगर पालिका क्षेत्र में शामिल हो जाएंगे, लेकिन अब अफसर आनाकानी कर रहे हैं।
शहर के बीच में डेवलपमेंट के लिए खाली जमीन बची नहीं है, इसलिए डेवलपमेंट शहर से बाहर हो रहा है। सीहोर शहर के इंदौर-भोपाल रूट पर होने के कारण भविष्य को लेकर काफी संभावनाएं हैं।
– अनिल राय, बिल्डर सीहोर
– मानपाल कुशवाह, इंदौर नाका
– प्रफुल्ल त्यागी, युवा