आपको बता दें कि, सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा वीडियो मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के कार्यभार वाले उस जिले का है, जो खुद शिवराज मामा का गृह जिला है। यहां सीहोर जिला मुख्यालय से मात्र 5 किलो मीटर की दूरी पर स्थित इछावर के टोला भीमपुरा ग्राम पंचायत चंदेरी का है। कहा ये भी जा रहा है कि, यहां औद्योगिक क्षेत्र के विस्तार के लिए प्रशासन ने सैकड़ों परिवारों को बिना विस्थापन व्यवस्था किए भीषण गर्मी के दौरान बेघर कर दिया है।
सरकारी हैंडपंप, प्राइमरी स्कूल और PM आवास के कई मकानों पर भी चल रहा बुल्डोजर
आपको बता दें कि, ग्राम चंदेरी की 150 एकड़ राजस्व भूमि कई दशकों से गांव में शासकीय जंगल में थी। इस भूमि पर भीमपुरा नामक गांव बसा हुआ है, जिसमें घुमक्कड़ जाति के सैकड़ों परिवार कई वर्षों से कच्चे – पक्के मकान बनाकर रह रहे हैं। खास बात ये है कि, गांव में पीएचई विभाग ने पीने के पानी के लिए हैंडपंप भी लगा रखा है। वहीं, जिस गांव में बुलडोजर चल रहा है, वहां प्राइमरी स्कूल भी है। साथ ही, गांव में कई मकान प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत भी बने हुए हैं।
गांव की जमीन नीति निवेश विभाग को सौंपी
सरकार ने इस गांव की जमीन को औद्योगिक क्षेत्र विस्तार के लिए नीति निवेश विभाग को दे दिया गया है। ऐसे में यहां बसे गरीब ग्रामीणों को हटाया जा रहा है। जानकारी ये भी सामने आई है कि, जब ये भूमि औद्योगिक क्षेत्र को आवंटित की गई थी, तब पटवारी की लापरवाही से इस भूमि को आरक्षित नहीं कराया गया और ना ही इस भूमि को राजस्व में रखा गया। नतीजतन इन गरीबों के आशियाने यहां से तोड़े जा रहे हैं।
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पूंजीपतियों को सौंपी जाएगी गरीबों की जमीन
इस गांव में घुमक्कड़ जाति के सैकड़ों परिवार वर्षो से अपने कच्चे – पक्के मकान बना कर रह रहे है। कुछ ग्रामीणों को ग्राम पंचायत द्वारा प्रधानमंत्री योजना के तहत आवास भी उपलब्ध कराए गए हैं तो शिक्षा विभाग ने टोला भीमपुरा से जिला मुख्यालय और ग्राम पंचायत मुख्यालय चंदेरी दूर होने के कारण प्राथमिक स्कूल भी खोला, जिसमें ग्रामीण बच्चे अपने भविष्य को संवारने के लिए पढ़ने जाते हैं। लेकिन इन परिवारो पर ओद्योग की नजर लग गई, जो पूंजीपतियों को लाभ पहुंचाने के लिए गरीबों को जमीन पास में लगे वाडिया खेड़ी उद्योग क्षेत्र के नाम कर दी। अब प्रशासन इन गरीबों के घरों को तोड़कर उन्हें लगातार बेघर करने का कार्य कर रहा है।
फिलहाल, भीषण गर्मी, बारिश भी सिर पर है, आखिर कहां जाएंगे ?
जब जिला प्रशासन का बुलडोजर ग्रामीणों के घरों को तोड़ने पहुंचा तो वहां रहने वाले परिवारों के बच्चे बुलडोजर पर चढ़ गए और अपने घरों को न तोड़ने की गुहार लगाने लगे। अब यही वीडियो सोशल मीडिया पर खासा वायरल हो रहा है। अब सवाल ये है कि, एक तरफ तो गरीब बेरोजगार, बेसहारों को भूखंड उपलब्ध कराने के लिए योजना बनाई जाती है, जिसमें प्रदेश में निवास करने वाले हर गरीब को जमीन देना और उस पर पक्के मकान बनाकर देना शामिल है, लेकिन वहीं जब वर्षों से एक स्थान पर निवास करने वाले गरीबों की बात आती है तो उन्हें हटाने के लिए तो काम किये जाते हैं, पर उनके विस्थापन की कोई व्यवस्था नहीं होती।
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…तो लाड़ली लक्ष्मी और लाड़ली बहना क्या होगा ?
साथ ही, जिन लोगों को प्रधानमंत्री आवास योजना का लाभ दिया, अब उन्हीं आवासों को तोड़ा जा रहा है। फिलहाल, इन गरीबों के सामने अभी भीषण गर्मी है और कुछ ही दिनों में बारिश भी उनके सिर पर होगी। ऐसे में इन गरीब परिवारों के लिए अगर सरकार की ओर से कोई वेकल्पिक व्यवस्था न की गई तो जरा सोचिये कि, आखिर इन मासूम बेटियों और ‘लाड़ली बहनों’ वाले परिवारों का क्या होगा ?
कई बार जिम्मेदारों से लगाई गुहार, फिर भी भुगतना पड़ रहा ये अंजाम- ग्रामीण
ग्रामीणों का कहना है कि, कई बार हम सीएम, कलेक्टर और विधायक से अपनी गुहार लगा चुके हैं। इसके बाद भी हमे हमारा हक नहीं दिया जा रहा है। अब हम कह जाए, घर से बेघर होने से तो अच्छा कि हम बुलडोजर के सामने आकर मर जाए। जैसे ही प्रशासनिक अधिकारी जेसीबी लेकर गांव पहुंच घरों को तोड़ने के लिए आगे बढ़ा, तो मासूम बच्चियां बुलडोजर के सामने आकर रोते लगी। नन्नी बेटियों ने रोते रोते कहा कि, हमारा आशियाना बचा लीजिए। हमारे गांव की भूमि पुनः वापस राजस्व को दे दीजिए। वहीं, गरीब लाड़ली बहने भी मांग कर रही है। हमने घरों की समस्याओं को बताया और अभी तक सुनवाई नही हुई है, आखिर हम कहां जाएंगे।