थोड़ी-थोड़ी देर में दिखता है अलग रूप
चिंतामण गणेश की प्रतिमा को थोड़ी-थोड़ी देर में देखने पर उसमें कुछ परिवर्तन नजर आता है। लोगों का मानना है कि अलग-अलग समय में दर्शन करने पर अलग-अलग रूप नजर आता है।
पौराणिक इतिहास है मंदिर है
यह प्रतिमा अति प्राचीन है। दो हजार वर्ष पुराना इसका इतिहास बताया जाता है। सीवन नदी से कमल पुष्प के रूप में प्रकट हुए भगवान गणेश को सम्राट विक्रमादित्य रथ में लेकर जा रहे थे। सुबह होने पर रथ जमीन में धंस गया। रथ में रखा कमल पुष्प गणेश प्रतिमा में परिवर्तित होने लगा। प्रतिमा जमीन में धंसने लगी। बाद में यहीं पर मंदिर का निर्माण करा दिया गया। आज भी गर्भगृह को देखकर लगता है कि यह जमीन धंसी हुई है।
पेशवा ने बनवाया था मंडप
इतिहासकार बताते हैं कि इस मंदिर का जीर्णोद्धार और सभा मंडप बाजीराव पेशवा प्रथम ने बनवाया था। शालीवाहन शक, राजा भोज, कृष्ण राय तथा गौंड राजा नवल शाह आदि ने मंदिर की व्यवस्था में सहयोग दिया था। नानाजी पेशवा विठूर के समय मंदिर की ख्याति व प्रतिष्ठा दुनियाभर में फैल गई थी।