कलाम ( kalam ) ने भारत को ऐसी 6 अनमोल चीजें दीं, जिन्होंने देश की छवि ही बदलकर रख दी।बैलिस्टिक मिसाइल और इसरो लॉन्चिंग व्हीकल प्रोग्राम उनमें से एक था। इसके साथ ही कलाम ने लक्ष्य भेदी (गाइडेड मिसाइल्स) को भी डिजाइन किया था। जब इंटीग्रेटेड गाइडेड मिसाइल डेवलपमेंट प्रोग्राम का प्रस्ताव तैयार कर रहे थे, तब उन्होंने ब्रह्मोस, पृथ्वी (prithavi missile ) , अग्नि, त्रिशूल, आकाश, नाग समेत कई मिसाइलों का आविष्कार किया।
-ब्रह्मोस एक सुपरसॉनिक क्रूज मिसाइल है। इसे पनडुब्बी से ही नहीं बल्कि पानी के जहाज से, विमान से या जमीन से भी छोड़ा जा सकता है।
-इसे मिसाइल की रफ़्तार 2.8 मैक है जो ध्वनि की रफ़्तार के बराबर मानी जाती है।
-इस मिसाइल को खासतौर पर आर्मी और नेवी के लिए बनाया गया है।
-ब्रह्मोस मिसाइल की रेंज 290 किलोमीटर है। ये 300 किलोग्राम भारी युद्धक सामग्री ले जा सकती है।
-ब्रह्मोस मिसाइल की विशेष बात यह है कि यह हवा में ही मार्ग बदल सकती है।
-यह मिसाइल चलते—फिरते लक्ष्य को भी भेद सकती है।
-इसका मिसाइल का पहला परीक्षण 12 जून 2001 को हुआ था।
-वैज्ञानिकों का कहना है कि अब बह्मोस-2 को बनाने की तैयारी चल रही है जिसका परीक्षण 2020 में होने की संभावना है।
-इस मिसाइल का पहला प्रक्षेपण 25 फारवरी 1988 में हुआ था।
-पृथ्वी मिसाइल की रेज 200-250 किलोमीटर है। साथ ही यह भारी हथियारों को लाने-लेजाने में सक्षम है।
-पृथ्वी मिसाइल-1 का परीक्षण अब्दुुल कलाम की देखरेख में ओडिशा के धामरा तट के द्वीप पर किया गया था।
-पहली अग्नि मिसाइल-1 का परीक्षण 25 जनवरी 2002 को किया गया था।
-यह मिसाइल स्वदेशी तकनीक से विकसित सतह से सतह पर मार करने वाली परमाणु सक्षम मिसाइल है।
-इसकी मारक क्षमता सात सौ किलोमीटर है।
– यह मध्यम रेंज की बालिस्टिक मिसाइल है।
-यह मिसाइल 1000 किलो तक के परमाणु हथियारों को ढोने की सक्षमता रखती है।
-इस मिसाइल को रेल व सड़क दोनों प्रकार के मोबाइल लांचरों से छोड़ा जा सकता है।
-अग्नि-1में विशेष नौवहन प्रणाली लगी है, जो यह तय करती है कि मिसाइल सटीक निशाने के साथ अपने लक्ष्य पर पहुंचे।
-अग्नि मिसाइल-1 के बाद अग्नि-2,अग्नि-3,अग्नि-4 को लॉन्च किया गया है।
-यह मिसाइल सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइल मानी जाती है।
-त्रिशूल कम दूरी से भी जमीन से हवा में मार करने वाला प्रक्षेपास्त्र है।
-इसका उपयोग कम उड़ान पर हमला करने वाली मिसाइलों के खिलाफ जहाज से एक विरोधी समुद्र तलवार के रूप में भी किया जा सकता है।
-इस मिसाइल का परीक्षण भारत के पूर्वी तट पर भुवनेश्वर से 180 किलोमीटर दूर स्थित चांदीपुर की रेंज में किया गया था।
-परीक्षण करने के दौरान मिसाइल को एक मोबाइल लॉन्चर के ज़रिए छोड़ा गया।
-इसके साथ ही परीक्षण के वक्त एक माइक्रो-लाइट विमान को निशाना बनाया गया।
-इस मिसाइल की खास बात यह है कि यह जल, थल और वायु तीनों में काम करती है और तीनों सेनाओं के काम आ सकती है।
-अकाश मिसाइल स्वदेशी तकनीक से निर्मित है जिसे कम दूर की सतह से हवा में छोड़ा जा सकता है।
-इस मिसाइल को डीआरडीओ ने विकसित किया था।
-यह मिसाइल विमान को 30 किमी दूर व 18,000 मीटर ऊंचाई तक टारगेट बना सकती है।
-इसमें लड़ाकू जेट विमानों, क्रूज मिसाइलों और हवा से सतह वाली मिसाइलों के साथ-साथ बैलिस्टिक मिसाइलों को बेअसर करने की क्षमता है।
-आकाश मिसाइल की हरेक बैटरी 64 लक्ष्यों तक को ट्रैक करके, उनमें से 12 पर हमला कर सकती है।
-मिसाइल पूरी तरह से गतिशील है और यह काफिले में भी रक्षा करने में सक्षम है।
-इस मिसाइल को बनाने में 300 करोड़ रुपए की लागत आई थी।
-इस मिसाइल की मारक शक्ति 4 किलोमीटर है।
-इसका पहला सफल परीक्षण नवंबर में किया गया।
-इसे ‘दागो और भूल जाओ’ टैंक रोधी मिसाइल भी कहा जाता है, क्योंकि एक बार इसे दागे जाने के बाद दोबारा निर्देशित करने की आवश्यकता नहीं पड़ती।