scriptअच्छी खबर : दिसंबर तक में तैयार हो जाएगा भारत का सबसे बड़ा सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट | India's largest sewage treatment plant will be ready by December | Patrika News
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अच्छी खबर : दिसंबर तक में तैयार हो जाएगा भारत का सबसे बड़ा सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट

दिल्ली में देश का सबसे बड़ा सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट दिसंबर तक तैयार हो जाएगा। इसके द्वारा यमुना नदी को साफ और स्‍वच्‍छ बनाने की योजना है। द‍िल्‍ली जल बोर्ड की ओर से ओखला में देश का सबसे बड़ा सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट बनाया जा रहा है।

Mar 29, 2022 / 02:09 pm

Abhishek Kumar Tripathi

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द‍िल्‍ली सरकार प्रदूषित यमुना नदी की सफाई के लिए लंबे समय से सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट का निर्माण करा रही है। जो रोजाना 564 मिलियन लीटर ट्रीटेड पानी को बाहर निकालेगा। हालांकि कोरोना के कारण इसके काम में देरी आई है लेकिन यदि अब सब कुछ ठीक रहा तो दिसंबर तक भारत का सबसे बड़ा सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट तैयार हो जाएगा। कोरोना के बाद अब इसके काम में तेजी लाई गई है। ओखला में दो और नए संयंत्र बनाए जा रहे हैं जो राजधानी दिल्ली का 1,362 एमएलडी गंदे पानी को यमुना में सीधे मिलने से रोकने में मदद करेगा।
एशिया का सबसे बड़ा सीवेज उपचार संयंत्र
यह संयत्र 665 करोड़ रुपये की लागत से बनाया जा रहा जो भारत के साथ एशिया का सबसे बड़ा सीवेज उपचार संयंत्र माना जा रहा है। यह 564 एमएलडी क्षमता वाला ओखला में बनाया जा रहा है। इसके साथ ही दो और संयंत्र बनाए जा रहे है जिसमें एक कुंडली में 204 एमएलडी क्षमता के साथ 239 करोड़ रुपये की लागत से तैयार कराया जा रहा है, वहीं दूसरा रिठाला में 182 एमएलडी की क्षमता के साथ 211 करोड़ रुपये की लागत से बन रहा है।
3,273 एमएलडी सीवेज उत्पन्न करता है दिल्ली
सरकारी आंकड़ों के हिसाब से दिल्ली सबसे अधिक प्रदूषित शहरों में से एक है। यहां 3,273 एमएलडी का सीवेज उत्पन्न होता है। जिसमें से 2,340 एमएलडी का उपचार किया जा रहा है। वहीं कम से कम 933 एमएलडी सीवेज को सीधे बिना किसी उपचार के यमुना नदी में छोड़ा जा रहा है जो इसको और अधिक प्रदूषित करता जा रहा है।
क्या काम करता है सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट
सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट हमारे घरों और बड़ी फैक्ट्रियों से निकलने वाले गंदे पानी को सीधे नदी में मिलने से रोकता है। इसमें दूषित पानी को फिर से उपयोग में लाने के लिए एसटीपी का प्रयोग किया जाता है। पानी को साफ करने के लिए भौतिक, रासायनिक और जैविक विधि का प्रयोग किया जाता है। जिससे दूषित पानी दोबारा उपयोग के लायक बन पाता है।
 

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