Kodamar Holi: पुराने समय में सवाईमाधोपुर जिले में होली के त्योहार के अवसर पर कई प्रकार की रोचक परम्पराएं प्रचलित थी। इनमें से आसपास के गांवों में कोडामार और लट्ठमार होली भी खेली जाती थी। इन होलियों में देवर-भाभी के प्रेम का अनूठा रिश्ता देखने को मिलता था। इस दौरान लोकगीतों पर जमकर हंसी ठिठौली भी की जाती थी।
सवाई माधोपुर•Mar 22, 2024 / 12:31 pm•
Akshita Deora
Unique Holi Celebration: पुराने समय में सवाईमाधोपुर जिले में होली के त्योहार के अवसर पर कई प्रकार की रोचक परम्पराएं प्रचलित थी। इनमें से आसपास के गांवों में कोडामार और लट्ठमार होली भी खेली जाती थी। इन होलियों में देवर-भाभी के प्रेम का अनूठा रिश्ता देखने को मिलता था। इस दौरान लोकगीतों पर जमकर हंसी ठिठौली भी की जाती थी।
भाभी मारती थीं देवर को कोड़ा
कोड़ामार होली की बात करें तो जिले के गांव बहरावण्डा खुर्द में धुलंडी के अगले दिन कोड़ामार होली खेली जाती थी। इस दिन महिलाएं देवरों की पीठ पर कोड़े बरसाती थी और देवर भाभी पर रंग लगाते थे। भाभियां कपड़े का जो कोड़ा बनाती थीं। उनके एक सिरे पर छोटा सा पत्थर बांध दिया जाता था। पानी में भीगा कोड़ा जब सनसनाता हुआ होली खेलने वालों की पीठ पर पड़ता तो वह कई दिनों तक भूल नहीं पाता था।
Hindi News / Sawai Madhopur / राजस्थान के इस जिले की मशहूर है देवर-भाभी की होली, देवरों की हालत हो जाती थी खराब