इस मंदिर में जाने के लिए लगभग 1579 फीट ऊंचाई पर भगवान गणेश के दर्शन हेतु जाना पड़ता है । यह मंदिर विदेशी पर्यटकों के बीच भी आकर्षण का प्रमुख केंद्र है। ऐतिहासिक एवं प्राचीन काल का होने के कारण इस मंदिर की बड़ी मान्यता है। आस्था और चमत्कार की ढेरों कहानियां खुद में समेटे यह मन्दिर प्रकृति एवं प्राचीनता का भी अद्भुत संगम है।
अरावली और विन्ध्याचल पहा़िडयों के मनोरम परिवेश एवं प्रकृति की गोद में बने इस मन्दिर तक पहुंचने के लिए भक्तों को रणथम्भौर दुर्ग के भीतर कई किलोमीटर पैदल चलने के बाद त्रिनेत्र गणेशजी के दर्शन होते हैं तो हृदय में श्रद्धा और आस्था का अगाध सागर उमड़ आता है। श्रद्धालु अपनी थकान त्रिनेत्र गणेशजी की मात्र एक झलक पाकर ही भूल जाते हैं।
भारत के कोने-कोने से लाखों की तादाद में दर्शनार्थी यहां पर भगवान त्रिनेत्र गणेशजी के दर्शन हेतु आते हैं और कई मनौतियां मांगते हैं, जिन्हें भगवान त्रिनेत्र गणेश पूरी करते हैं। भगवान गणेश शिक्षा, ज्ञान, बुद्धि, सौभाग्य और धन के देवता हैं। गणेश सभी दुःख, पीड़ा, अशुभता और कठिनाइयों को हर लेते हैं। जो भी यहां सच्ची आस्था और भक्ति के साथ आता है और सच्चे मन से कोई भी मनौती करता है तो उसकी हर मनोकामना पूरी करते हुए गणेशजी उसको ज्ञान, सौभाग्य और समृद्धि प्रदान करते हैं।