वनाधिकारियों ने बताया कि बाघिन टी-60, बाघिन टी-31 की संतान थी। बाघिन टी-31 को इंदू के नाम से भी जाना जाता था। ऐसे में बाघिन टी-60 को वन विभाग और वन्यजीव प्रेमियों की ओर से जूनियर इंदू का भी नाम दिया गया।
रणथम्भौर के नॉन ट्यूरिज्म क्षेत्र में बाघिन टी-60 का विचरण रहता था। 4 मार्च 2016 को पहली बार यह बाघिन तीन शावकों के साथ नजर आई थी। इसके बाद अप्रेल 2019 में यह बाघिन शावकों के साथ नजर आई थी।
वनाधिकारियों ने बताया कि वन विभाग की टीम बाघिन को शहर स्थित राजबाग नाके पर ले आई। वहां शाम को वन व प्रशासनिक अधिकारियों की मौजूदगी में शव का अंतिम संस्कार किया गया। वनधिकारियों ने बताया कि पोस्टमार्टम की रिपोर्ट आने के बाद ही मौत के कारणों का स्पष्ट रूप से खुलासा हो सकेगा।
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रणथम्भौर के गुढा वन क्षेत्र में बाघिन टी-60 का शव मिला है। बाघिन के शव का पोस्टमार्टम कराया गया है। पोस्टमार्टम की रिपोर्ट आने के बाद ही इस संबंध में स्पष्ट रूप से कुछ कहा जा सकता है।
मोहित गुप्ता, उपवन संरक्षक, रणथम्भौर बाघ परियोजना, सवाईमाधोपुर।