सवाई माधोपुर

राजस्थान में इस किसान ने लगाया गजब का दिमाग, गोबर से शुरू किया यह काम, बदल गई तकदीर

महंगे यूरिया से जेब पर पड़ रहे भार और फसल को हो रहे नुकसान को लेकन जिले के सूरवाल गांव के किसान ने खुद का बायोगैस प्लांट स्थापित कर महंगाई में बचत करने का निदान भी निकाला है।

सवाई माधोपुरJan 16, 2025 / 04:00 pm

Kamlesh Sharma

सवाईमाधोपुर। महंगे यूरिया से जेब पर पड़ रहे भार और फसल को हो रहे नुकसान को लेकन जिले के सूरवाल गांव के किसान ने खुद का बायोगैस प्लांट स्थापित कर महंगाई में बचत करने का निदान भी निकाला है। साथ ही उनके इस अनूठे प्रयोग से अब उनकी खेती उनके लिए वरदान साबित हो गई है। बायो गैस प्लांट स्थापित करने से न सिर्फ उनका मुनाफा बढ़ा है, बल्कि अब उनकी फसल का केमिकल युक्त खाद से बचाव हो रहा है और पैदावार भी अच्छी हो रही है।
जिला मुख्यालय से आठ किलोमीटर दूर जानकीलाल मीणा सूरवाल गांव में अपने फार्म हाउस पर बायो गैस प्लांट लगाकर इससे घरेलू और कृषि कार्य दोनों का ही उपयोग कर रहे हैं। प्रगतिशील किसान जानकारीलाल को अब न तो गैस सिलेंडर के दाम बढ़ने की की चिंता है और न ही मिट्टी के चूल्हे पर खाना बनाने की। साथ ही खेती के लिए बिजली कटौती की समस्या से भी उन्हें निजात मिल गई है।
उन्होंने बायोगैस प्लांट तक एक पाइप के माध्यम से इस गैस को रसोई तक पहुंचाया है, जिससे उनका चूल्हा जलता है। इसके साथ ही बायोगैस से इंजन चलाकर वे उसी से अल्टरनेटर चलाकर बिजली पैदा करते हैं। ऐसे में उनकी दूसरों पर निर्भरता कम होने के साथ ही खेती करने में लागत भी कम हो गई है, जो उन्हें अब वरदान साबित हो रही है।

ये हुए फायदे

खेती-बाड़ी करने वाले किसान जानकीलाल ने बताया कि उनके घर में यह प्लांट 20 सालों से लगा है। उन्होंने पिछले दो दशक से सिलेंडर नहीं खरीदा है। वे बायोगैस प्लांट से ही चूल्हे पर खाना पका रहे हैं। उन्होंने बताया कि वे बायोगैस से इंजन चलाकर उसी से अल्टरनेटर चलाकर बिजली पैदा करते हैं। इस बिजली का उपयोग वे घरेलू कामकाज में करते हैं। वहीं प्लांट में गोबर के अवशेष को उर्वरक खाद के रूप में खेतों में इस्तेमाल करते हैं। इससे खेती की उपज भी बढ़ी है और केमिकल युक्त खाद से होने वाले नुकसान से भी फसल बच रही है।
यह भी पढ़ें

राजस्थान के किसानों के लिए राहत की खबर, इन 20 जिलों में खुलेंगे ‘फसलों के अस्पताल’

एक भैंस होने पर भी लगा सकते हैं प्लांट

जानकीलाल ने बताया कि बायोगैस संयंत्र के लिए घर में एक या दो भैंस का होना जरूरी है। टैंक में ताजा गोबर का घोल डालते हैं। उसको प्रतिदिन घुमाते हैं। गैस तैयार होने पर टैंक से पाइप के माध्यम से किचन तक पहुंचाते हैं। उनके अनुसार एक भैंस के गोबर से चार से पांच घंटे तक बायोगैस का उपयोग हो जाता है। इससे वे चाय बनाने, दूध गर्म करने व भोजन पकाने का कार्य करते हैं।

दूसरे किसान भी हो रहे प्रेरित

किसान जानकीलाल के अनूठे प्रयोग से अब दूसरे किसान भी प्रेरित हो रहे हैं। कृषि विभाग से नवाचार के बारे में जानकर वे यहां इसे सीखने आते हैं। उन्होंने बताया कि खुद बायोगैस संयंत्र स्थापित करने के बाद गांव में भी अन्य किसान भी बायोगैस संयंत्र स्थापित करने के लिए प्रेरित हो रहे हैं।
इनका कहना है…
क्षेत्र में किसान जैविक एवं प्राकृतिक खेती कर रहे है। किसान जानकीलाल ने वर्षों से बायोगैस संयंत्र लगा रखा है। वे इससे निकलने वाली सैलरी से वर्मी कम्पोस्ट तैयार करते है। इससे खेती की उपज भी बढ़ी है और केमिकल युक्त खाद से होने वाले नुकसान से भी फसल बच रही है। वे दूसरे किसानों को भी बायोगैस संयंत्र लगाने के लिए प्रेरित कर रहे है।

Hindi News / Sawai Madhopur / राजस्थान में इस किसान ने लगाया गजब का दिमाग, गोबर से शुरू किया यह काम, बदल गई तकदीर

लेटेस्ट सवाई माधोपुर न्यूज़

Copyright © 2025 Patrika Group. All Rights Reserved.