ये हुए फायदे
खेती-बाड़ी करने वाले किसान जानकीलाल ने बताया कि उनके घर में यह प्लांट 20 सालों से लगा है। उन्होंने पिछले दो दशक से सिलेंडर नहीं खरीदा है। वे बायोगैस प्लांट से ही चूल्हे पर खाना पका रहे हैं। उन्होंने बताया कि वे बायोगैस से इंजन चलाकर उसी से अल्टरनेटर चलाकर बिजली पैदा करते हैं। इस बिजली का उपयोग वे घरेलू कामकाज में करते हैं। वहीं प्लांट में गोबर के अवशेष को उर्वरक खाद के रूप में खेतों में इस्तेमाल करते हैं। इससे खेती की उपज भी बढ़ी है और केमिकल युक्त खाद से होने वाले नुकसान से भी फसल बच रही है।राजस्थान के किसानों के लिए राहत की खबर, इन 20 जिलों में खुलेंगे ‘फसलों के अस्पताल’
एक भैंस होने पर भी लगा सकते हैं प्लांट
जानकीलाल ने बताया कि बायोगैस संयंत्र के लिए घर में एक या दो भैंस का होना जरूरी है। टैंक में ताजा गोबर का घोल डालते हैं। उसको प्रतिदिन घुमाते हैं। गैस तैयार होने पर टैंक से पाइप के माध्यम से किचन तक पहुंचाते हैं। उनके अनुसार एक भैंस के गोबर से चार से पांच घंटे तक बायोगैस का उपयोग हो जाता है। इससे वे चाय बनाने, दूध गर्म करने व भोजन पकाने का कार्य करते हैं।दूसरे किसान भी हो रहे प्रेरित
किसान जानकीलाल के अनूठे प्रयोग से अब दूसरे किसान भी प्रेरित हो रहे हैं। कृषि विभाग से नवाचार के बारे में जानकर वे यहां इसे सीखने आते हैं। उन्होंने बताया कि खुद बायोगैस संयंत्र स्थापित करने के बाद गांव में भी अन्य किसान भी बायोगैस संयंत्र स्थापित करने के लिए प्रेरित हो रहे हैं।क्षेत्र में किसान जैविक एवं प्राकृतिक खेती कर रहे है। किसान जानकीलाल ने वर्षों से बायोगैस संयंत्र लगा रखा है। वे इससे निकलने वाली सैलरी से वर्मी कम्पोस्ट तैयार करते है। इससे खेती की उपज भी बढ़ी है और केमिकल युक्त खाद से होने वाले नुकसान से भी फसल बच रही है। वे दूसरे किसानों को भी बायोगैस संयंत्र लगाने के लिए प्रेरित कर रहे है।