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सवाई माधोपुर

Ranthambore News: रणथंभौर की दूसरी सबसे बड़ी रेंज में 6 साल में कब-कब हुई बाघों की मौत, जानें

Ranthambore Tiger Reserve: रणथंभौर की दूसरी सबसे बड़ी रेंज में बाघों की मौत के मामले थमने का नाम नहीं ले रहे हैं। जानें-6 साल में कितने बाघों की मौत हो चुकी है।

सवाई माधोपुरSep 23, 2024 / 02:44 pm

Anil Prajapat

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Sawai Madhopur News: सवाईमाधोपुर। रणथंभौर की खण्डार रेंज को बाघों के लिए मुफीद माना जाता है। रणथंभौर की दूसरी सबसे बड़ी रेंज में वर्तमान में 20 से अधिक बाघ-बाघिनों का विचरण है और वर्तमान में यहां कोई भी पर्यटन जोन नहीं होने के कारण पर्यटक भी नहीं आते हैं। ऐसे में खण्डार में बाघों को बेहतर पर्यावास मिल रहा है, लेकिन इसके बाद भी खण्डार रेंज में बाघों की मौत के मामले थमने का नाम नहीं ले रहे हैं।
रविवार को खण्डार रेंज के फरिया नाका वन क्षेत्र में युवा बाघ टी-2312 का शव मिलने से वन्यजीव प्रेमियों में शोक की लहर दौड़ गई है। यह कोई पहला मामला नहीं है, जब खण्डार रेंज में बाघ की मौत हुई है। इससे पहले भी यहां बाघों की मौत के मामले सामने आ चुके हैं। खण्डार रेंज में बाघों की मौत के मामलों में लगातार इजाफा होता जा रहा है। इस बात की गवाही खुद वन विभाग के आंकड़े दे रहे हैं। वन विभाग से मिली जानकारी के अनुसार रणथंभौर की खण्डार रेंज में पिछले छह सालों में छह बाघ-बाघिनों की मौत हो चुकी है। अधिकतर बाघ-बाघिनों की मौत या तो इलाके को लेकर हुए आपसी संघर्ष में या फिर प्राकृतिक हादसे में हुई है।

बाघ टी-2312 की मां की भी हो चुकी है मौत

बाघ टी-2312, बाघिन टी-63 के अंतिम लिटर की संतान था बाघिन टी-63 भी करीब नौ माह पहले ही दुनिया को अलविदा कह चुकी है। खण्डार रेंज के लाहपुर वन क्षेत्र में मिला था। बाघिन टी-63 रणथंभौर की प्रसिद्ध बाघिन टी-19 यानि कृष्णा की संतान थी।
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इनका कहना है

यह सही है कि बाघ टी-2312 की मां बाघिन टी-63 की मौत पहले हो चुकी है। जहां तक खण्डार रेंज में पिछले कुछ सालों में हुई बाघों की मौत का सवाल है तो अधिकतर मौतें आपसी संघर्ष या फिर हादसों में हुई थी। यह एक सामान्य प्रक्रिया है। रणथभौर में बाघ-बाघिनों का सरवाइवल रेट अन्य टाइगर रिजर्व की अपेक्षा बेहतर है।
-रामखिलाड़ी मीणा, क्षेत्रीय वनाधिकारी, खण्डार

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