किसानों की मानें तो 1981 में बाढ़ के बाद पहली बार इतनी अधिक वर्षा हुई। वहीं, तहसील कार्यालय से प्राप्त आंकड़ों के अनुसार इस वर्ष बारिश ने सभी रिकॉर्ड तोड़ दिए। उपखंड मुख्यालय पर औसत 722 मिमी वर्षा के मुकाबले इस सीजन में 7 सितंबर तक 1221 मिमी (69.11 प्रतिशत) अधिक वर्षा हो चुकी है। तहसील कार्यालय के अनुसार 2004 से अब तक इससे पहले इतनी बारिश दर्ज नहीं की गई।
यहां बह गई सड़क
इस वर्ष अतिवृष्टि से उपखंड क्षेत्र में बहने वाली बनास, मोरेल व निगोह नदी बीते एक महीने से लगातार पर उफान पर है। मोरेल नदी की बात करें तो नीमोद-टिगरिया, मलारना डूंगर से मायापुर और मलारना डूंगर से गुर्जर टापरीन को जाने वाली लिंक सड़क मार्ग में मोरेल नदी में बनी सीमेंट रपट पानी में बह गई। लगातार बारिश से कोटा-लालसोट मेगा हाईवे स्थित टोंड से बरियारा, नीमोद, करले होते हुए फलसावटा को जोड़ने वाले मार्ग पर डामर उखड़ कर बह गया। बहतेड़ से फलसावटा के बीच डामर सड़क बह गई।
यह मार्ग है अवरुद्ध
बारिश के कारण मलारना स्टेशन-ओलवाड़ा मार्ग, नीमोद-टिगरिया मार्ग पर आवागमन बंद हो गया है। टोंड से नीमोद के बीच मुख्य सड़क पर दो फिट तक पानी बह रहा है। कीतरपुरा के पास नहर टूटने से स्कूल के पास जलभराव हो रहा है। इसी तरह मलारना डूंगर से मायापुर और सैनीपुरा तिबारा से गुर्जर टापरीन जाने वाला मार्ग बीते एक माह से बंद है। मायापुर, आनन्दपुरा और गुर्जर टापरीन के विद्यार्थी स्कूल नहीं जा पा रहे हैं।
सौ फीसद फसल नष्ट
उपखंड क्षेत्र में लगातार बारिश के चलते इस वर्ष तिल, बाजरा, मूंग, उड़द, मूंगफली सहित अन्य सभी फसल नष्ट हो गई। किसान नेता कानजी मीना ने बताया कि इस वर्ष मलारना डूंगर उपखंड क्षेत्र में सौ फीसद खरीफ की बुवाई हुई थी। इसके बाद लगातार बारिश से पूरी फसल नष्ट हो गई, लेकिन सरकारी स्तर पर फसल खराबे का आकलन शुरू नहीं किया गया है। ऐसे में बीमित फसलों का क्लेम मिलना मुश्किल है। वहीं सरकारी स्तर पर फसल खराबे के मुआवजे पर भी संशय है।
मौसमी बीमारियों का बढ़ेगा प्रकोप
इस वर्ष लगातार बारिश से जगह-जगह जलभराव हो रहा है। ऐसे में मच्छर जनित मौसमी बीमारियों के प्रकोप बढ़ने की आशंका से इनकार नहीं किया जा सकता। ग्रामीणों ने बस्तियों के पास जलभराव की स्थिति से निपटने के लिए विशेष अभियान की मांग की है।