राजनीति के मंझे हुए खिलाड़ी थे कुंजीलाल मीणा
राजनीति के मंझे हुए खिलाड़ी माने जाने वाले बामनवास विधायक कुंजीलाल मीना की पार्टी तथा संगठन में किस कदर तूती बोलती है इसका जीता जागता नमूना यह था कि वे विधानसभा चुनावों में सात बार टिकट प्राप्त करने में कामयाब रहे थे। इसमें एक बार 1991 उपचुनाव में अपने छोटे भाई सुआलाल मीना को टिकट दिलाने में कामयाब रहे। यह अलग बात है कि उस समय उनको हार का मुंह देखना पड़ा। इसी तरह इस बार अपने पुत्र राजेन्द्र मीना को भी टिकट दिलाने में उनकी अहम भूमिका रही। पूर्व विधायक कुंजीलाल मीना चार बार विधायक, एक बार लोकसभा सदस्य तथा पंचायत समिति प्रधान रह चुके थे।
सर्वप्रथम सन 1977 में वे स्वतंत्र पार्टी से विधायक चुने गए थे। इसके बाद फिर 1980 में विधायक निर्वाचित हुए। वर्ष 1984 में हुए चुनावों में इंदिरा लहर के दौरान हार का सामना करना पड़ा। दस साल बाद फिर 1990 में विधानसभा का चुनाव लडकऱ जीते। अगले वर्ष 1991 में हुए लोकसभा चुनाव के दौरान पार्टी की ओर से मीना को सवाईमाधोपुर संसदीय सीट से प्रत्याशी बनाया गया। उन्होंने कांग्रेस प्रत्याशी रामस्वरूप मीना को पराजित कर संसद में प्रवेश किया। सीट रिक्त होने के कारण हुए उपचुनाव में छोटे भाई सुआलाल मीना को टिकट दिलाने में कामयाब तो रहे, लेकिन जीत का सेहरा नहीं बंधा पाए। वर्ष 1996 में फिर सवाईमाधोपुर संसदीय सीट से टिकट पाने में कामयाब रहे। इस बार कांग्रेस प्रत्याशी ऊषा मीना से हार गए। वर्ष 2003 एवं 2008 में लगातार दो बार विधायक का चुनाव हारे, लेकिन 1990 के बाद वर्ष 2013 में लंबे अंतराल के बाद जीत कर विधानसभा पहुंचे थे।
पार्टी ने जताया पूरा भरोसा
1984 से लेकर 2018 के बीच की अवधि में से सिर्फ 1998 के विधानसभा चुनाव को छोड़ दिया जाए तो बाकि सभी चुनाव में कुंजीलाल, उनके भाई सुआलाल और उनके बेटे राजेन्द्र मीणा को टिकट दिया गया। 1998 में भाजपा ने डॉ. किरोड़ीलाल मीणा को इस सीट से उम्मीदवार बनाया था और वह विजयी हुए थे। 1998 में ही कुंजीलाल का टिकट काटा गया था।